unseasonal rains
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    • खेत में किचड़ से बुआई प्रभावित

    गड़चिरोली: रोहिणी में आशा निराशा में बदलने के बाद मृग में बारिश न होने पर भी बुआई की जाएगी, इस आशा से मृग नक्षत्र की बेसब्री से इंतजार किसाना और खेती को बारिश ने पुरी तरह भीगों दिया है. जिससे खेतों में चहुओर किचड़ निर्माण हो गया है. जिसका खामियाजा किसानों को निराश होकर किचड़ में ही बुआई करनी पड़ रही है. ऐसे स्थिति में भी बारिश थमने के बाद बुआई करेंगे, इस आशा से किसान बारिश रूकने की प्रतिक्षा कर रहे है.

    खेतीकार्य के लिये बारिश बेहद जरूरी है. मात्र मृग नक्षत्र के बारिश से हद कर दी है. मृग नक्षत्र की बारिश यानि बुआई की बारिश. किंतु इस वर्ष उल्टा हो गया है. रोहिणी की बारिश शुरू होने के बाद मृग में मेघ बरसे या न बरसे बुआई कार्य करना किसानों ने निश्चित किया था. मात्र इस वर्ष मृग में निरंतर बारिश हो रही है.

    बता दे कि, 8 जून से मृग नक्षत्र शुरू हुआ. तब से लेकर अब तक 13 दिन बारिश हुई. निरंतर न होने के बावजूद भी प्रतिदिन  हो रही है. प्रतिदिन बारिश होने से खेत जमीन किचड बन गयी है. आज-कल करते हुए अब 13 दिनों की कालावधि बित गयी है. मात्र बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है. जिससे खेत में किचड़ होने के बावजूद भी किसानों को मजबूरी में खेती करनी पड़ रही है.

    गत वर्ष खराब हुए थे धान के परे

    गत वर्ष कुछ अलग स्थिति थी. रोहिणी की बारिश साथ देने के कारण मृग के पहले की बुआई कार्य पूर्ण हुए थे. मात्र मृग नक्षत्र में पहले दो-तीन दिन अच्छी बारिश हुई. मात्र इसके बाद मृग नक्षत्र खत्म होने के बावजूद भी मेघ नहीं बरसे थे. बुआई होने के बाद धान परे को बारिश की  बेहद आवश्यकता थी. लेकिन आद्रा के दुसरे-तीसरे दिन बारिश हुई. लेकिन मृग-आद्र्रा इन दोनों नक्षत्र से बुआई खतरे में आ गयी थी. आखिकार आद्र्रा की बारिश ने ही साथ दी थी.

    किचड़ में ही बुआई करने का विकल्प

    इस वर्ष जिले के किसानों को अगल स्थिति देखने मिल रही है. निरंतर बारिश के चलते इस वर्ष किसानों को किचड़ में बुआई करनी पड़ रही है. यही एक विकल्प होने के कारण किसान ट्रैक्टर और बैलजोड़ी की सहायता से  किचड़ कर धान की बुआई कर रहे है. निरंतर  बारिश जारी रहने पर किचड़ में धान की बुआई करना असंभव होगा, ऐसी बात जानकार लोगों ने कही है.