Tigress was Imprisoned.

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गड़चिरोली. शहर से समिप होनेवाले चंद्रपुर मार्ग पर के कृषि विज्ञान केंद्र के रोपवाटीका में आज सुबह के दौरान डेरा डाला. इस बाघिन को कैद करने के लिए वनविभाग के दस्ते के साथ चंद्रपुर के आरआरटी दस्ते को बुलाया गया था. अंतत: साडेचार घंटे के प्रयास के पश्चात शाम के दौरान बाघिन को पिंजरे में कैद करने में सफलता मिली है. बाघिन पिंजरे में कैद होने की जानकारी मिलते ही दहशत में होनेवाले परिसर के नागरिकों के साथ ही शहरवासियों ने राहत की सांस ली है. 

गड़चिरोली-चंद्रपुर इस राष्ट्रीय महामार्ग पर के कॉम्पलेक्स परिसर में कृषि विज्ञान केंद्र है. इस केंद्र से सटकर ही रोपवाटीका है. इस दौरान सुबह 11 बजे के दौरान राष्ट्रीय महामार्ग पार कर एक बाघिन सिधे कृषि केंद्र के रोपवाटीका में जा घुसी. इस मार्ग से मार्गक्रमण करनेवाली उक्त बाघिन दिखाई दी. जिससे नागरिकों में खलबली मच गई. घटना की जानकारी प्राप्त होते ही वनविभाग का दस्ता घटनास्थल पर दाखिल हुआ. बाघिन को पकड़ने के लिए चंद्रपुर के आरआरटी (रैपिड रेस्कु टीम) को बुलाया गया. दोपहर 2 बजे के दौरान बाघिन को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया गया.

आरआरटी दस्ते के शुटर अजय मराठे ने बाघिन को बेहोश करने के लिए प्रयास शुरू किए. इस दौरान शाम 5 बजे के दौरान उक्त बाघिन को पकड़ने में सफलता मिली. उक्त कार्रवाई मुख्य वनसंरक्षक डा. किशोर मानकर के नेतृत्व में गड़चिरोली के उपवनसंरक्षक मिलीश शर्मा, सहाय्यक उपवनसंरक्षक सोनल भडके, आरएफओ धीरज ढेंबरे, आरआरटी के पशुवैद्यकीय अधिकारी डा. रविकांत खोब्रागडे, शुटर अजय मराठे इनके साथ्ज्ञ वनविभाग के कर्मचारी, आरआरटी दस्ते ने सफलतापूर्वक की. इस समय वन्यजीव संरक्षक मिलिंद उमरे, वन्यजीवप्रेमी अजय कुकुडकर उपस्थित थे. 

पुलिस का कडा बंदोबस्त 

बाघिन ने राष्ट्रीय महामार्ग से सटकर स्थित कृषि केंद्र के रोपवाटीका में डेरा डालने की बात फैलते ही नागरिकों ने घटनास्थल पर भीड की थी. वहीं आवागमन करनेवाले वाहनधारक भी वहां रूकने लगे थे. जिससे घटनास्थल पर लोगो की काफी भीड जमा हुई थी. इसकी जानकारी मिलते ही तत्काल पुलिस निरीक्षक अरिवंदकुमार कतलाम ने स्वयं पुलिस दल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस ने समय पर भीड को भगाकर यातायात सुचारू की. सुरक्षा की दृश्टि से घटनास्थल समिपस्य विश्रामगृह के सामने का मार्ग बंद किया गया था. बाघिन को पिंजरे में कैद करने तक उक्त परिसर में पुलिस का कडा बंदोबस्त रखा गया था. 

अंतत: नागरिकों ने ली राहत की सांस 

बाघिन ने जिस रोपवाटीका में डेरा डाला था, उसके सामने ही कृषि महाविद्यालय है, यहां अनेक विद्यार्थी शिक्षा अर्जित करते है. इसके साथ्ज्ञ ही पिछे सरकारी कार्यालयों के साथ ही कर्मचारियों की कालोनी है. इसमें प्रमुखता से जिप के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, पुलिस अधिक्षक, न्यायाधिश के निवासस्थान भी है. साथ ही भिडभाड की सड़क है. इस परिसर के नागरिकों के लिए उक्त बाघिन खतरनाक साबित हो रही थी. जिससे बाघिन को पिंजरे में कैद करना आवश्यक था. अंतत: साडेचार घंटे के प्रयास के बाद बाघिन को पिंजरे में कैद किए जाने से सभी ने राहत की सांस ली. 

चंद्रपुर के टीटीसी में करेगें बाघ को रवाना 

वनविभाग का दल तथा चंद्रपुर के आरआरटी पदस्ते द्वारा बाघिन को पिंजरे में कैद करने में सफलता मिली है. उक्त बाघिन 4 वर्ष की है, फिलहाल वह वनविभाग के कार्यालय में बंदीस्त है. प्राथमिक जांच के पश्चात उसकी चंद्रपुर के टीटीसी (ट्रांजेक्ट ट्रिटमेंट सेंटर)को रवानगी की जानेवाली है.

डॉ. किशोर मानकर, (मुख्य वनसंरक्षक, गड़चिरोली वनवृत्त)