नशा मुक्ति की ओर बढ़ रहा जिला, बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे गांवों के लोग

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    गड़चिरोली. गड़चिरोली जिले में शराबबंदी और गुटखा बंदी होने के बावजूद भी जिले में खुलेआम शराब और गुटखा बेचा जा रहा है. वहीं दुसरी ओर शौकिनों की संख्या भी अधिक होने के कारण गुटखा और शराब पर प्रति वर्ष करोड़ों रूपये खर्च होते है. और लोगों को विभिन्न बिमारियों का संक्रमण का सामना करना पड़ है.

    मात्र दुसरी ओर महाराष्ट्र सरकार, टाटा ट्रस्ट व गड़चिरोली के सर्च संस्था की ओर से लोगों में जनजागृति करने के लिये मुक्तिपथ यह अभियान आरंभ किया गया है. इस अभियान अंतर्गत जिले के गांव-गांव में व्यसनमुक्ति का संकल्प लिया जा रहा है. विशेषत: महिला व युवक वर्ग इस अभियान में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे है. जिससे गड़चिरोली जिला नशामुक्ति की ओर बढ़ते दिखाई दे रहा है. 

    समितियां कर रही अवैध व्यवसाय पर कार्रवाईयां 

    मुक्तिपथ अभियान के दौरान लोगों में व्यसनमुक्ति संदर्भ में जनजागृति करने के लिये जिले मेंं तहसील स्तर पर तहसील संघटक की नियुक्ति की गई है. संबंधित तहसील संगठक द्वारा अपने तहसील के गांव-गांव में कार्यक्रम आयोजित कर लोगों में जनजागृति की जा रही है. अब तक जिले में सैकड़ों गांवों ने मुक्तिपथ अभियान के तहत व्यसनमुक्ति का संकल्प किया है.

    विशेषत: इस अभियान अंतर्गत महिला और युवकों की समिति  का गठण किया जा रहा है. संबंधित समिति के माध्यम से गांव में शुरू शराब बिक्री और गुटखा व तंबाखु बिक्री पर पाबंदी लगाई जा रही है. जिले के अनेक गांवों में गठीत समितियों ने शराब विक्रेताओं को पकड़कर पुलिस के हवाले किया है. तथा गुटखा और तंबाखु की होली जलाकर गांव को व्यसनमुक्त करने का विशेष प्रयास किया जा रहा है. 

    आदिवासी गांवों का समावेश 

    नशे से शरीर पर होनेवाले दूष्परिणाम और वित्तीय खर्च संदर्भ में अभियान के माध्यम से गांव-गांव में जाकर नागरिकों में जनजागृति की गई. जनजागृति से प्रभावित होकर जिले के आदिवासी गांवों के नागरिकों ने गांवों को नशामुक्त करने का संकल्प लिया. विशेषत: गांव में शराबबंदी समिति गठीत कर अवैध व्यवसाय करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रस्ताव पारित किया जा रहा है. जिससे अब आदिवासी गांव भी जागृत होते दिखाई दे रहा है.