खरीफ में डूबा किसान, रब्बी से लगी आंस

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     अबतक 27.68  प्रश बुआई 

    – इस वर्ष रब्बी का क्षेत्र बढ़ने की संभावना 

    गड़चिरोली. उत्पादन मिले या न मिले, किसानों के समक्ष परिश्रम के अलावा विकल्प नहीं बचता हे. इस वर्ष खरीफ सीजन में हाथ में आयी फसल बेमौसम बारिश के चलते छिन जाने की स्थिती है. जिसेस अब रब्बी सीजन से किसानों ने आंस लगाई है. जिले में रब्बी फसलों के लिए 22 हजार 927.50 हेक्टेयर सर्वसाधारण क्षेत्र निर्धारित किया गया है. अबतक (17 नवंबर) 27.68 प्रश रब्बी फसलों की प्रत्यक्ष बुआई हो पायी है. खरीफ सीजन में हुए नुकसान की पूर्ति करने के दृष्टि से इस वर्ष रब्बी क्षेत्र में वृद्धि होने की संभावना है. 

    इस वर्ष के खरीफ सीजन ने किसान की कठीण परीक्षा ली. खरीफ के अंतिम चरण मं धान फसल हाथ में आनेवाली थी. ऐसे में बेमौसम बारिश से किसानों की मेहनत पानी में बह गई. संपूर्ण फसल आंखों के समक्ष बारिश में भिगने से किसानों का व्यापक नुकसान हुआ है. किसान सरकार की ओर मुआवजे की आंस में नजरे गढ़ाए बैठा है. ऐसे में रब्बी सीजन को शुरूआत हुई है.

    जिले के किसान रब्बीसीजन में तृणधान्य, कडधान्य व तेलबीजवर्गीय फसल बडी मात्रा मं लेते है. इसमें सर्वाधिक चना, उसके पश्चात ज्वारी, मका व गेहू फसलों का उत्पादन लिया जाता है. इस वर्ष रब्बी सीजन में 22 हजार 927.50 हेक्टेयर सर्वसाधारण क्षेत्र रब्बी का नियोजन होकर अबतक 6347.4 हेक्टेयर क्षेत्र पर प्रत्यक्ष बुआई हुई है.

    तृणधान्य में ज्वारी का सर्वाधिक 1930.76 हेक्टेयर क्षेत्र, कडधान्य में चना का सर्वाधिक 3586.97 हेक्टेयर क्षेत्र तो तेलबीज वर्गीय फसलों में मुंगफल्ली का सर्वाधिक 445 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई नियोजित की गई है. रब्बीसीजन को हाल ही में शुरूआत हुई है. इस वर्ष की बारिश ध्यान में लेते हुए आगामी रब्बी क्षेत्र में निश्चित ही बढ़ने की आंस निर्माण हुई है. 

    524.15 हेक्टेयर पर गेहू की होगी बुआई 

    जिले के तृणधान्य में ज्वारी का क्षेत्र हमेशा ही सर्वाधिक रहा है. उसके बाद गेहू व मका की फसल ली जाती है. इस वर्श ज्वारी का 1930 हेक्टेयर उद्देश है, जिसमें कृषि अधिक्षक कार्यालय ने 17 नवंबर को दिए आंकडेवारी के अनुसार 99.9 हेक्टेयर पर बुआई हुई है. वहीं गेहू का क्षेत्र 524.15 हेक्टेयर निर्धारित किया गया है. जिसमें से 32.3 हेक्टेयर पर बुआई हुई हे. मका 1950 हेक्टेयरर निर्धारित है, अबतक 326.5 हेक्टेयर पर बुआई हुई है. 

    चने की सर्वाधिक बुआई

    जिले में कडधान्य में चना, लाखोली, पोपट, वटाना, उलद, मुंग, बरबटी, चवली आदि फसल ली जाती है. कडधान्य मं 15605 हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित है, अबतक 3955 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हुई है. जो 25.35 प्रश है. सर्वाघिक बुआई लाखोली व चने के फसलों की हुई है. इसमें 1699 हेक्टेयर क्षेत्र में तो चना 554 हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई का नियोजन है. 

    मुंगफल्ली के क्षेत्र में हो रही वृद्धि 

    जिले में तेलबील वर्ग में मुंगफल्ली, करडी, जवस, तील, सुर्यफुल आदि तेलबील वर्गीय फसल ली जाती है. इसमें में भी मुंगफल्ली के बुआई का क्षेत्र निरंतर बढ़ता जा रहा है. इस वर्ष मुंगफल्ली की बुआई अधिक होने की बात दिखाई दे रही है.

    तेलबीज वर्ग में 2918 हेक्टेयर क्षेत्र निर्धारित किया गया है. अबतक 725 हेक्टेयर क्षेत्र पर बुआई की गई है. इसमें सर्वाधिक 445 हेक्टेयर पर मुंगफल्ली की बुआई की गई है. उसके बाद करडी 147 हेक्टेयर क्षेत्र, जवस 76.5 हेक्टेयर क्षेत्र तथा 22 हेक्टेयर क्षेत्र में राई की बुआई की गई है.  

    किसानों को रब्बी से नया मौका – मास्तोली

    इस संदर्भ में जिला अधिक्षक कृषि अधिकारी बसवराज मास्तोली ने बताया कि, बेमौसम बारिश से खरीफ फसलों का नुकसान हुआ है. किंतू यह बारिश रब्बी के लिए नया मौका देनेवाला है. इस बारिश के कारण जमीन में आवश्यक नमी होने से रब्बी का क्षेत्र बढ़ने का मौका है. रब्बी का क्षेत्र बढ़ाने के लिए विभिन्न उपक्रम चलाएं जा रहे है.

    प्रत्यक्ष गांव गांव में जाकर प्रात्यक्षिक लेना तथा अनुदान पर बीज, किटनाशके उपलब्ध कराया जा रहा है. अब की बारिश रब्बी फसलों के लिए निश्चित ही लाभकारी होगी, रब्बी के दृष्टि से उपयुक्त वातावरण होने से इस वर्ष के रब्बी क्षेत्र में निश्चित ही वृद्धि होगी.