बाघ और तेंदुए की बीच लढाई, तेंदुए ने तोड़ा दम

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    •  गड़चिरोली समीपस्थ वाकड़ी जंगल परिसर की घटना 

    गड़चिरोली. पिछले कुछ माह से गड़चिरोली तहसील के जंगल में हिसंक पशुओं की संख्या काफी बढ़ गयी है. गड़चिरोली व वड़सा वनविभाग में नरभक्षी बाघ की दहशत निर्माण होकर बाघ ने अब तक अनेक लोगों को अपना निवाला बनाया है. ऐसे में बाघ और तेंदुए के बीच हुई लढ़ाई में तेंदूए की मृत्यु होने की घटना रविवार को सुबह के समय गड़चिरोली जिला मुख्यालय समीपस्थ वाकड़ी गांव के जंगल परिसर में उजागर हुई है.

    इस घटना की जानकारी मिलते ही वनविभाग की टीम तत्काल घटनास्थल पर पहुंचकर घटना का पंचनामा किया. वहीं तेंदुए को पशु अस्पताल में ले जाकर पोस्टमार्टम करने के बाद तेंदूए के शव का अंतिमसंस्कार किया गया. बताया जा रहा है कि, मृत तेंदूए की आयु 7 वर्ष है. इस घटना से परिसर के नागरिकों में दहशत का वातावरण निर्माण हो गया है. 

    लढ़ाई में बाघ भी हुआ घायल

    रविवार को सुबह के समय वनकर्मचारियों की टिम गस्त करते समय वाकड़ी जंगल क्षेत्र मेंं तेंदूआ मृत अवस्था में पाया गया. वनाधिकारियों द्वारा घटनास्थल का पंचनामा करने पर बाघ और तेंंदुए के बीच लढ़ाई होने की बात स्पष्ट हुई. वहीं दोनों हिंसक पशुओं के बीच शनिवार की रात लढ़ाई होने की बात कही जा रही है. बाघ और तेंदूए के बीच हुई लढ़ाई में तेंदूए की मृत्यु हो गयी. वहीं बाघ भी घायल होने की संभावना वनाधिकारियों ने जताई है.

    लोगों को जंगल में न जाने की अपिल

    वाकड़ी गांव के जंगल में बाघ और तेंदुए के बीच लढ़ाई होकर तेंदूए की मृत्यु हो गयी है. वहीं बाघ भी घायल हो गया है. ऐसे में वनविभाग सतर्कत होने के साथ ही परिसर के नागरिकों को जंगल में न जाने की अपिल की गई. साथ ही अपने पालतु जानवर को भी जंगल में न ले जाने की बात कही गई. इधर वनविभाग घायल बाघ पर नजर रखने के लिये वनकर्मचारियों के गस्त पथक को सुचित किया है.

    तेंदुए को दी गई मुखाग्री

    जंगल में तेंदुआ का शव होने की जानकारी मिलते ही वनाधिकारियों की टिम पशु वैद्यकीय अधिकारी को साथ लेकर घटनास्थल पर पहुंची. वहीं घटना का पंचनामा करने के बाद तेंदुए के शव का पोस्टमार्टम किया गया. इसके बाद वनाधिकारियों की उपस्थिति में तेंदुए के शव को मुखाग्रि दी गई. इस समय सहायक वनसंरक्षक सोनल भडके, वनपरिक्षेत्राधिकारी अरविंद पेंदाम, क्षेत्र सहायक श्रीकांत नवघरे, वरक्षक पी. बी. राठोड़, भसारकर, गौरव हेमके, पशुधन विकास अधिकारी डा. चेतन नंदनवार, डा. श्रध्देय सिरणकर आदि उपस्थित थे.