Road

गडचिरोली. राज्य के आखरी छोर पर बसे गडचिरोली तहसील के सिरोंचा-आलापल्ली इस बहुचर्चित  राष्ट्रीय महामार्ग के कार्य को देड वर्ष पहले मंजूरी मिली थी. लेकिन उक्त महामार्ग दस मिटर चौडा करने की मांग किये जाने से इस मार्ग का निर्माणकार्य रूका हुआ था.  ऐसे में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उक्त मांग मंजूर करने से महामार्ग के निर्माणकार्य का मार्ग खुला हो गया है. वहीं 400 करोड रूपयों से बनाए जानेवाले इस महामार्ग के चलते दक्षिण गडचिरोली के करीब  440 गांवों में विकास की गंगा पहुंचेगी. 

राजय के आखरी छोर पर बसे सिरोंचा तहसील से बहनेवाली  गोदावरी, प्राणहिता और इंद्रावती इन तीन नदियों पर 1  हजार करोड रूपये खर्च कर बडे पुलिया का निर्माण किया गया है. वहीं तेलंगणा व छत्तीसगड  राज्या की सीमा से सटे इस क्षेत्र में  सिरोंचा-आलापल्ली यह 353 क्रमांक का  राष्ट्रीय महामार्ग  जाता है.

प्रमुख नदियों पर पुलियाओं का निर्माण होने से आंतरराज्यीय यातायात बढ गयी है. लेकिन सडके छोटी होने से अल्पावधी में ही मार्गो की दुरवस्था  होकर यह 100 किमी का मार्ग पुरी तरह उखड गया है. जिसका खामियाजा इस क्षेत्र के नागरिकों को नागपुर, गडचिरोली और चंद्रपुर जाने के लिये तेलंगाना राज्य के मार्गो से जाने की नौबत आन पडी है.

सडक की खस्ताहालत के चलते नागरिकों में काफ रोष है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए  तत्कालीन पालकमंत्री एकनाथ शिंदे ने महामार्ग निर्माण का प्रस्ताव तैयार करने की सूचना महामार्ग विभाग को दी थी. इस अंतर्गत राष्ट्रीय महामार्ग का प्रस्ताव मंजूर  किया गया. इसमें  7 मीटर चौडाईवाले  सिमेंट कॉंक्रिट के इस महामार्ग पर दो बडे पुलिया समेत 40 छोटे पुलियाओं का समावेश था. 

मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री की गडकरी के साथ सफल चर्चा

जंगल से जानेवाले इस महामार्ग के निर्माण के लिये वनविभाग की भी आवश्यकता थी. वहीं महामार्ग की चौडाई बढाने की मांग भी की जा रही थी. जिससे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी के साथ चर्चा की. वहीं मुख्यमंत्री शिंदे ने भी नागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस संदर्भ में गडकरी के साथ चर्चा की थी. इन चर्चाओं के बाद गडकरी ने उक्त महामार्ग को दस मिटर तक बढाने की मान्यता प्रदान की है.

वनविभाग से 54 हेक्टेयर जमीन की मांग

सिरोंचा से उक्त महामार्ग के निर्माणकार्य को प्राथमिक रूप से शुरूआत की गई है. इसमें आलापल्ली से आष्टी इस 40 किमी के मार्ग का भी समावेश है. इसके लिये करीब 54 हेक्टेयर वनजमिन की मांग वनविभाग के पास की गई है. यह राष्ट्रीय महामार्ग दक्षिण क्षेत्र के 440 गांवों समेत सीमावर्ती क्षेत्र के लिये महत्वपूर्ण है. उक्त कार्य युध्दस्तर पर शुरू किया जाएगा.

विवेक मिश्रा (कार्यकारी अभियंता, राष्ट्रीय महामार्ग)