झाडीपट्टी रंगभूमि उतरेगी फिल्मी पर्दे पर,  झालीवूड फिल्म 3 जून को होगी प्रदर्शित

    Loading

    गड़चिरोली. दंडार, राधा, खडीगंमत, तमाशा, नाटक यह झाडीपट्टी रंगभूमि के नाट्यसंस्कृति का समृद्ध विभिन्न स्वरूप है. झाडीपट्टी के दर्शकों का झाडीपट्टी रंगभूमि पर व्यापक प्रेम है. इसी झाडीपट्टी रंगभूमि ने समुचे महाराष्ट्र को आकर्षित किया है. इसी रूची में किसी समय बालकलाकार के रूप में कार्य करनेवाले एक कलाकार ने झाडीपट्टी रंगभूमि को अनोखी भेट दी है. दिग्दर्शक तृशांत इंगले ने ‘झालीवुड’ नामक फिल्म के माध्यम से झाडीपट्टी रंगभूमि को फिल्म में उतारा है. आगामी 3 जून को यह फिल्म प्रदर्शित होनेवाली है. 

    आज के अत्याधुनिक, गतिशिल बदलते मनोरंजनात्मक दुनिया में झाडीपट्टी रंगभूमि ने अपनी प्रसिद्धी कायम रखी है. पहले साल के विशेष दिवस तथा शंकरपट, मंडई के उपलक्ष्य में आयोजित होनेवाले दंडार से लेकर नाटक यह सफर रोचक है. इसी सफर के दौरान गांवनाट्य मंड़ल से व्यावसायिक नाटक कंपनियां, बैलगाडी से चौपहिया वाहन, उस दिन होनेवाली सामाजिक, पारिवारिक रिश्तों का मिलाप ऐसे विभिन्न विशेषता इस झाडीपट्टी के रंगभूमि में छिपी है. इसी व्यापक लोकप्रिय होनेवाले झाडीपट्टी रंगभूमि की समुचे विश्व को जानकारी हो, इस उद्देश से कलाकार तृशांत इंगले ने झालीवुड यह फिल्म दिग्दर्शित की है. 

    चंद्रपुर जिले के सिंदेवाही तहसील के मरेगाव इस गांव में फिल्म की शुटींग हुई. झाडीपट्टी रंगभूमि के कलाकारों ने ही फिल्म में काम किया है. झाडीपट्टी रंगभूमि यानी क्या है, यह दिखाने का प्रयास इस फिल्म में किया गया है. दर्शक, कलाकार, गाव नाटक मंड़ल, नाटक कंपनिया, नाटक के स्टेज बाहर के दूकाने इन सभी का समावेश इसमें होगा. मट्टी के चौकोनी रंगभूमि पर पेश होनेवाली झाडीपट्टी रंगभूमि अब फिल्म स्वरूप में साकार होकर प्रदर्शित होनेवाली है. जिससे यह फिल्म देखना रोचक होनेवाला है. 

    झाडीपट्टी रंगभूमि को आगे ले जाने का प्रयास 

    झाडीपट्टी रंगभूमि की संस्कृती अच्छी है. उसका जतन करना चाहिए. मनोरंजन के लिए प्रस्तूत होनेवाले दंडार, नाटक समाज प्रबोधन का कार्य करते है. इस नाट्य मुहिम का मुझे अभिमान है. मन लगाकर काय्र करनेवाले कलाकार झाडीपट्टी रंगभूमि को आगे ले जाने का प्रयास कर रहे है. झाडीपट्टी रंगभूमि पर फिल्म दिग्दर्शित करने की मुझे व्यापक खुशी है. 

    तृशांत इंगले, फिल्म दिग्दर्शक

    जन्म के पूर्व से ही मेरा झाडीपट्टी रंगभूमि से रिश्ता जुडा है. मेरी कर्मभूमि झाडीपट्टी रंगभूमि है. मुझे अभिनेत्री के रूप में इस रंगभूमि ने ही मंच दिया है. यहां के दर्शन कमाल के है. उनमें समर्पनवृत्ती काफी है. दर्शकों ने ही झाडीपट्टी रंगभूमि को आजतक जिवित रखा है. झाडीपट्टी रंगभूमि ने ही मुझे लिखने का मौका दिया है.

    आसावरी नायडू, फिल्म लेखिका

    बिते 30 वर्षो से मै झाडीपट्टी रंगभूमि पर कार्य कर रहा है. 'अजिंक्य मृत्यू पराजीत झाला' इस नाट्य के मंचन से कुरखेडा तहसील के आंधली में रंगभूमि पर मैने कदम रखा. अबतक सैंकड़ों नाटकों में मैने कलाकार के रूप में कार्य किया है. झाडीपट्टी रंगभूमि पर आधारित फिल्म में कार्य करते हुए मुझे व्यापक खुशी हुई. इस फिल्म से समुचे महाराष्ट्र व विश्व को झाडीपट्टी रंगभूमि की जानकारी मिलेगी.

    किरपाल सयाम, वरीष्ठ झाडीपट्टी कलाकार