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  • ‘महाविकास आघाडी बनेगी या लढा जाएगा स्वतंत्र चुनाव’ इसपर चर्चाओं का बाजार गर्म

कोरची: स्थानीय ग्रामपंचायत चुनाव के पश्चात नगर परिषद व नगर पंचायत चुनाव का ज्वर चढनेवाला है. कोरची नगर पंचायत का 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण हो रहा है. जिससे इस चुनाव का बिगुल अभी से बजने लगा है. इस चुनाव के लिए प्रत्येक पार्टी की ओर से नियोजन शुरू हुआ है. आगामी चुनाव में नए उम्मीदवारों के चेहरे देखने को मिलेगें क्या? राज्य सरकार की महाविकास आघाडी के तर्ज पर नपं चुनाव में भी आघाडी कायम रहेगी क्या स्वतंत्र दल चुनाव लढेंगे इसको लेकर राज बना हुआ है. मात्र इसपर चर्चाओं पर बाजार गर्म है. 

कोरची नपं के बिते चुनाव में शिवसेना व भारतीय जनता पार्टी एकजुट होकरर सत्ता प्राप्त की थी. कांग्रेस पार्टी ने 10 जगह पर तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 7 जगह पर चुनाव लढे थे. उसमें से कांग्रेस ने 3 व राकां ने 2 सिट प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की थी. वहीं शिवसेना ने 9 जगह पर चुनाव लढकर 6 सीट पर तो भाजपा ने 9 जगह लढाकर 3 जगह पर अपनी विजयी पताका लहरायी थी. वहीं निर्दलीय प्रत्याशियों ने कुल 12 वार्डो में चुनाव लढा था. जिसमें से 3 जगह पर निर्दलीय चुनकर आए थे.

शिवसेना-भाजपा ने बहुमत सिद्ध करते हुए कोरची नपं की सत्ता प्राप्त की थी. ढाई वर्ष के पश्चात फिर से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए एक ओर भाजपा व शिवसेना तो दुसरी ओर कांग्रेस, राकां व निर्दलीय पार्षदों ने अपनी दांवेदारी पेश की थी. क्यौंकि, दस्तावेज के अभाव में शिवसेना के एक पार्षद का पद रिक्त हुआ था. मात्र कांग्रेस का एक पार्षद बागी होने से फिर से शिवसेना व भाजपा को अपना पद कायम रखने में सफलता मिली थी. 

इस चुनाव में 5 वर्ष सत्ता में रहनेवाले पदाधिकारी यह किस आधार पर वोट मांगेगे? यह भी देखने का मुद्दा रहेगा. उन्हे शहर के नागरिक कितना प्रतिसाद देंगे या शहर के विकास के लिए नए दल को या प्रत्याशी को पसंद करेगे ? वहीं राज्य सरकार के तर्ज पर स्थानीय चुनाव में भी कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस व शिवसेना यह दल एकजुट होकर चुनाव लढेंगे? इन राज पर से पर्दा अबतक नहीं हटा है.

हाल ही में नागपूर विधान परिषद चुनाव में चुनकर आए कांग्रेस तथा मित्रदलों के प्रत्याशी अभिजित वंजारी इनके जीत का लाभ इन मित्रदलों को मिलेगा क्या ? इन सभी सवालों के जवाब नगर पंचायत चुनाव के पश्चात ही सभी जनता व दलों के समक्ष आऐंगे. मात्र फिलहाल अपना सर्वस्व झोंककर प्रत्येक दल जीत के उद्देश से नियोजन में जुटे दिखाई दे रहे है. 

आरक्षण के चलते संभ्रम

आगामी नगर पंचायत चुनाव को देखते हुए विगत 1-2 वर्षो से प्रत्येक पार्षदों ने अपना क्षेत्र अबाधित रखने के लिए नियोजन शुरू किया था. मात्र कुछ दिन पूर्व घोषित हुए आरक्षण निश्चिती के चलते प्रत्येक पार्षद में संभ्रमण निर्माण हुआ है. जिससे इस चुनाव में मतदाताओं को नए चेहरे देखने को मिलेंगे क्या? यह भी बडा प्रश्न निर्माण हो रहा है. 

शिवसेना में दोफाड

बतां दे कि, बिते चुनाव में चुनकर आए शिवसेना के सभी पार्षदों ने भाजपा में प्रवेश करने से शिवसेना में दोफाड हुई है. मात्र सालभर पूर्व महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव के पश्चात कांग्रेस, शिवसेना व राष्ट्रवादी कांग्रेस एकजुट होकर अपना सरकार स्थापित की. जिससे शिवसेना फिर से जोरों से आगे आएगी क्या? यह प्रश्न सभी के समक्ष उपस्थित हुआ है.