Bhagat singh koshyari

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    •  गोंडवाना विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह संपन्न 

    गड़चिरोली. गांव का विकास होगा तो ही देश का विकास हो सकता है. यह सुत्र ध्यान में रखकर स्थानीय विद्यार्थी व्यापक दृष्टि रखकर भविष्य में प्रयास करने पर गड़चिरोली समेत परिसर का निश्चित ही विकास हो सकता है. ग्रामविकास यह छात्रों का केंद्रबिंदू होना चाहिए, ऐसा कथन राज्य के महामहिम राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने किया. 

    गोंडवाना विश्वविद्यालय का 9 वां दिक्षांत समारोह आज 12 आंक्टोंबर को आयोजित किया गया था. इस अवसर पर वे अध्यक्षीय मार्गदर्शन करते हुए बोल रहे थे. इस समय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चव्हाण, राज्य के नगर विकास मंत्री तथा जिले के पालकमंत्री एकनाथ शिंदे यह प्रमुखता से उपस्थित थे.

    इस समय विवि के कुलगुरू प्रा. श्रीनिवास वरखेडी, प्र-कुलगुरू डा. श्रीराम कावले, सांसद अशोक नेते, विधायक डा. देवराव होली, विधायक कृष्णा गजबे, राज्यपाल के प्रधान सचिव संतोष कुमार, नागपूर विभागीय आयुक्त प्राजक्ता लवंगारे-वर्मा, विशेष पुलिस महानिरीक्षक छेरिंग दोर्जे, जिलाधिकारी संजय मीना, जिप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार आशीर्वाद, जिला पुलिस अधिक्षक अंकित गोयल आदि उपस्थित थे.

    आदिवासी विद्यार्थियों में मूलतः व्यापक उद्यमशीलता है, उसे अनुरूप गति देने के लिए प्रयासों की आवश्यकता है, ऐसी बात कहते हुए राज्यपाल ने आगे कहां कि, प्रकृति के गोद में बसे इस विश्वविद्यालय पर व्यापक जिम्मेदारी है. ‘लोकल से ग्लोबल’ इस सुत्र के अनुसार वहां के विद्यार्थी गांव के विकास के साथ ही देश तथा विश्व के कल्याण का विचार करे. समर्पित भावना से निरंतर प्रयास करेन पर अपने समाज का विकास हो सकता है.

    यह बात ध्यान में लेकर यहां के युवक आत्मनिर्भर बने. ‘स्टार्ट अप’ जैसे नाविन्यपूर्ण उपक्रम के माध्यम से उद्यमशीलता का जतन कर अपने परिसर के सर्वकष परिवर्तन के लिए निष्ठापूर्वक प्रयास करे. राज्य के प्रगत शहरी क्षेत्र तथा आदिवासी दुर्गम क्षेत्र इसमें काफी अंतर है. वह दूरी कम करने के लिए यहां के विकास हेतु नए शिक्षीत पिढ़ी को स्वावलंबन पर जोर देने की आवश्यकता है, ऐसी बात भी उन्होने इस समय कहीं.

    गुणवत्ताप्राप्त विद्यार्थियों में लड़कियों की बढ़ती संख्या संदर्भ में समाधान व्यक्त कर स्त्रीशक्ती का उन्होने खास तौर पर गौरव किया. स्व. सुनिल देशपांडे तथा देवाजी तोफा जैसे ध्येयवादी व्यक्तीं के योगदान समाज के लिए मौल्यवान साबित होने का उल्लेख भी उन्होने इस समय किया. 

    इस समारोह में विज्ञान व तकनिकी विज्ञान शाखा, वाणिज्य व प्रबंधन शाखा, मानव विज्ञान शाखा, तथा आंतरविज्ञान शाखा के सुवर्ण पदक प्राप्त, प्रथम गुणवत्ता प्राप्त, आचार्य पदवी प्राप्त छात्रों का राज्यपाल के हाथों सन्मान किया गया. कार्यक्रम का संचालन संचालन नरेंद्र आरेकर ने किया, आभार विवि के कुलसचिव डा. अनिल चिताडे ने माना. 

    आदिवासी क्षेत्र का अनुसंधान विकासाभिमुख हो-चव्हाण 

    शिक्षा यानी स्वयं के साथ परिवार, समाज, गांव समझने की संवेदनशील क्षमता विकसीत होना, उस माध्यम से भविष्य में इन घटकों के लिए क्या कर सकते है इसका विचार विद्यार्थी करे. गांव का विकास यह अपने विचारों का केंद्रबिंदू हो. गांव विकास के लिए विभिन्न प्रश्न निर्माण करते हुए उसके जवाब खोजने के लिए प्रयोगशिल बने.

    यह परिसर आदिवासी बहुल होने से सांस्कृतिक अंग से ही अनुसंधान करने के साथ ही ज्ञान, तकनिकी ज्ञान, चिकित्सा ऐसे विभिन्न दृष्टि से प्रत्यक्ष व्यवहार में उपयुक्त बननेवाले अनुसंधान हो, ऐसे अनुसंधान  का स्थानीय संदर्भ में विचार हो तथा इसके लिए विवि प्रयास करे, ऐसा आह्वान राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष हर्ष चव्हाण ने किया. 

    वैद्यकीय महाविद्यालय के लिए प्रयासरत- पालकमंत्री 

    इस परिसर का पिछड़ापन दूर करने का एक प्रभावी माध्यम के तौर पर हम शिक्षा की ओर देख रहे है. विविध स्वरूप का विकास कर यहां का पिछड़ापन दूर हो सकता है. नक्सलवाद की समस्या से ग्रस्त गड़चिरोली का जिले का विकास करना यह हमारी प्राथमिकता है. उस दृष्टि से गोंडवाना विवि के गुणात्मक वृद्धि के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है.

    एक वैश्विक स्तर का विवि के रूप में नाम बनाने के लिए सभी स्तर पर कृतिशिल नियोजन किया जा रहा है. इस क्षेत्र की जरूरत ध्यान में लेकर यहां वैद्यकीय महाविद्यालय के लिए हमारा प्रयास होने का आश्वासन उन्होने इस समय दिया. 

    बुनियादी सुविधा के लिए नियोजन-प्रा. वरखेडी

    विश्वविद्यालय का विगत 9 वर्ष का मार्गक्रमण बताते हुए कुलगुरू प्रा. श्रीनिवास वरखेडी ने कहां कि, गड़चिरोली तथा चंद्रपूर इन दोनों जिलों के शैक्षणिक विकास के उद्देश से शुरू हुआ गोंडवाना विश्वविद्यालय ने अपने मुल उद्देश पर खरे उतरते हुए अनेक स्थानीय तथा वैशिष्टयपूर्ण अभ्यासक्रम अपने कार्यपद्धती में समाविष्ट किए है.

    साथ ही विभिन्न उपक्रमों से विश्वविद्यालय की स्थानीय संदर्भ की उपयुक्तता बढ़ाने का प्रयास है. भविष्य में अत्याधुनिक स्वरुप की विभिन्न बुनियादी सुविधा निर्माण करेन के लिए विश्वविद्यालय का नियोजन होकर उसके तहत हमारा प्रयास है. ऐसी जानकारी उन्होने दी. 

    देवाजी तोफा मानद पदवी से सन्मानित

    दिक्षांत समारोह में अरावती जिले के मेलघाट क्षेत्र के संपूर्ण बांबू केंद्र के संस्थापक स्व. सुनिल देशपांडे इनके साथ गड़चिरोली जिले के मेंढालेखा के ग्रामसभा के प्रमुख देवाजी तोफा को मानव विज्ञान पंडित यह मानद पदवी बहाल की गई. स्व. सुनिल देशपांडे की ओर से निरुपमा देशपांडे ने यह पदवी स्विकार की.