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कोरची: हमेशा ढिले कारभार के चलते चर्चा में रहनेवाले कोरची के ग्रामीण अस्पताल में लाखों रूपए खर्च कर नई सोनोग्राफी मशीन लगाई गयी है. मात्र छह माह से अधिक का कालावधि बितने के बावजूद इसका लाभ मरीजों को नहीं होने से उक्त मशीन केवल शोपीस बनने की स्थिती दिखाई दे रही है. फलस्वरूप तहसील के मरीजों पर सोनोग्राफी करने के लिए भटकने की नौबत आई है.

ग्रामीण अस्पताल कोरची में सोनोग्राफी मशीन नहीं होने के कारण गर्भवती माताओं को जिला मुख्यालय होनेवाले गडचिरोली के जिला अस्पताल में जाना पडता था. इसमें आवागमन के मशक्कत तथा वित्तीय भुदंड भी सहना पडता था. जिससे अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन देने की मांग वरिष्ठ स्तर तक की गई.  कोरची तहसील में सिकलसेल मरीजों की संख्या बडे पैमाने में होने से गर्भवती माताओं को खतरा निर्माण होने की संभावना के चलते अंतता वरिष्ठ स्तर से ग्रामीण अस्पताल को सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध कराई गयी.

सोनोग्राफी मशीन के कारण गर्भवती माताओं पर उपचार करना सुलभ व सुविधाजनक होने की बात कहीं जा रही थी. मात्र ग्रामीण अस्पताल के अनियमित कारभार के चलते विगत छह माह से उक्त मशीन धुल खा रही है. जिससे उक्त मशीन उद्घाटन की प्रतीक्षा में तो नहीं? ऐसा सवाल उपस्थित किया जा रहा है. इससे मरीजों को व्यापक परेशानीयां हो रही है. किंतु वरिष्ठों द्वारा इस ओर अनदेखी की जा रही है.

कोरची के ग्रामीण अस्पताल में लाखों रूपयों की सोनोग्राफी मशीन होने के बावजूद भी तहसील के मरीजों को सोनोग्राफी के लिए भटकना पड रहा है. इससे बडी दुरभाग्यता क्या होगी. यहां के सोनोग्राफी मशीन द्वारा जांच तत्काल शुरू कर मरीजों की परेशानी रोके, ऐसी मांग अन्याय अत्याचार भ्रष्टाचार विरोधी समिती कोरची के तहसील अध्यक्ष आशिष अग्रवाल ने की है.