Kiran Kurmawar

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    • अतिदुर्गम क्षेत्र के युवाओं के लिए बनी मिसाल

    गड़चिरोली. सिरोंचा तहसील के अतिदुर्गम, पहाडियों से घिरे रेगुंठा की निवासी किरण रमेश कुरमावार ने अपने पिता के व्यवसाय में योगदान देने के उद्देश से उम्र के 23 वें वर्ष में टैक्सी का स्टेअरिंग हाथ में लेकर पुरूषों की मक्तेदारी होनेवाले क्षेत्र में कदम रखा. यह बात अन्य बेरोजगार युवाओं के लिए प्रेरणादायी साबित हुई थी. ऐसे में अब उसने उच्च शिक्षा प्राप्त करने की आंस रहनेवाले किरण ने इंग्लड के प्रसिद्ध लीड्स विश्वविद्यालय में प्रवेश निश्चित किया है. राज्य के अंतिम छोर पर बसे अतिदुर्गम क्षेत्र से सेधि विदेश में उडान भरकर युवाअें के समक्ष आदर्श निर्माण किया है. 

    शुरूआत से ही उच्च शिक्षा की आंस किरण को थी. यही जिद्द मन में रखकर किरण ने हैद्राबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय में प्रवेश प्राप्त किया. अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा ली. ऐसे में घर की स्थिती को ध्यान में लेकर उसने वर्ष 2018 में पिता के व्यवसाय में सहयोग देने का संकल्प कर यात्री वाहन चलाना शुरू किया. इस क्षेत्र युवति द्वारा यात्री वाहन चलाना उतना सरल नहीं था. घना जंगल, पहाडियो से घिरा क्षेत्र होने के बावजूद उसने 3 वर्ष तक टैक्सी चलाई.

    शुरूआत में किरण के टैक्सी से सफर करने को लोग घबराते थे. किंतु कुछ समय बाद उनका भय दूर हुआ. युवति टैक्सी चलाती देख अनेक लोगो को आश्चर्य होता था. ऐसे में भी उच्च शिक्षा अर्जित करने की जिद्द उसे चैन से बैठने नहीं दे रही थी. विदेश में उच्च शिक्षा लेने के लिए क्या करना पडेगा, इसकी खोज वह कर रही थी. ऐसे में बीड के एकलव्य कार्यशाला के राजू केंद्रे व विशाल ठाकरे ने उसे प्रवेश प्रक्रिया के संदर्भ में मार्गदर्शन किया.

    इसके पश्चात कुछ विश्वविद्यालय की प्रवेश पूर्व परीक्षा देने के पश्चात उसे विदेश में विश्वविद्यालय में प्रवेश निश्चित करने में सफलता मिली. उसके सफलता के चलते किरण का सभी स्तर से प्रशंसा हो रही है. अतिदुर्गम क्षेत्र से उच्च शिक्षा अर्जित करने की चाह रखनेवाले युवाओं के समक्ष उसने एक मिसाल कायम की है. 

    एमएससी मार्केटिंग मैनेजमेंट पाठ्यक्रम के लिए चयन 

    किरण का विदेश के कुछ विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए प्रयास शुरू था. इस दौरान सितंबर 2022 में उसने कुछ विश्वविद्यालय के प्रवेशपूर्व परीक्षा दिए. उसमें उसे सफलता मिली. जिससे उसे विश्व में 86 वां मानांकन होनेवाले इंग्लड के ‘लीड्स’ विश्वविद्यालय में एमएससी ‘मार्केटिंग मैनेजमेंट’ के पाठ्यक्रम को प्रवेश मिला है.

    लाखों का शुल्क भरने का प्रश्न 

    आदिवासीबहूल गड़चिरोली जिले के रेगुंठा जैसे दुर्गम क्षेत्र से आकर भी जिद्द तथा संघर्ष के बल पर उसने विदेश के विश्वविद्यालय में प्रवेश निश्चित किया. यह बात जिले के लिए बेहद सन्मान की साबित हुई है. किंतु विदेश के विश्वविद्यालय में प्रवेश मिला है, किंतु इस विश्वविद्यालय के 27 लाख इतना शुल्क कैसे भरे, ऐसा सवाल किरण के साथ ही उसके परिवार के समक्ष निर्माण हुआ है. समय आने पर मकान गिरवी रखने की तैयारी किरण के अभिभावकों ने की है. इसके बावजूद सरकार अथावा संस्था की ओर से छात्रवृत्ती प्राप्त करने का प्रयास भी शुरू है. 

    सरकार से छात्रवृत्ती की आस 

    उच्च शिक्षा लेने के जिद्द से आज विदेश में शिक्षा का मौका उपलब्ध हुआ है. किंतु शिक्षा शुल्क भरना हमारे लिए आह्वानात्मक साबित हो रहा है. इसके लिए मकान तक गिरवी रखने की तैयारी दर्शायी है. किंतु बैंक ने इन्कार करने से सरकार के छात्रवृत्ती मिलेगी, ऐसी आस है.

    किरण कुरमावार