नवोदय विद्यालय की जमीन संपादन का मसला हुआ हल, विद्यालय प्रबंधन वनविभाग को सौंपा 2 करोड़ 26 लाख

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    • जिलाधिश संजय मीणा ने निभाई महत्वपूर्ण भुमिका

    गड़चिरोली.  जिले में एकमात्र चामोर्शी तहसील के घोट में केंद्र सरकार की जवाहर नवोदय विद्यालय है. जहां दर्जेदार शिक्षा देकर गड़चिरोली जिले के छात्रों को उंचे औंदे पर पहुंचाया जा रहा है. लेकिन पिछले दो दशक  से अधिक समय से यह दर्जेदार शिक्षा देनेवाला विद्यालय अपनी ही समस्या से झुज रहा था. ऐसे में गड़चिरोली  जिले की कमान संभालते ही जिलाधिश संजय मीणा ने  विध्यालय प्रबंधक के साथ मिलकर जमीन संपादन करने के लिये विशेष प्रयास किया.

    आखिरकार जिलाधिश के प्रयास को सफलता मिलकर इस विद्यालय की जमीन संपादन का मसला हल हुआ है. विशेषत:  जिलाधिश द्वारा निधि मंजूर करने के बाद 25 मई को  विद्यालय प्रबंधन ने वनविभाग को 2 करोड़ 26 लाख रूपयों की निधि दी है. बताया जा रहा है कि, जमीन संपादन के लिये केंद्र से मंजूरी मिली है. लेकिन अब तक राज्य सरकार से मंजूरी नहीं मिली है. जिससे विद्यालय प्रबंधन को राज्य सरकार की मंजूरी की प्रतिक्षा करनी पड़ेगी.

    अब तक अधर में थी जमीन संपादन की प्रक्रिया  

    घोट स्थित नवोदय विद्यालय के लिये तत्कालीन जिलाधिश ने वनविभाग की 30 एकड़ जगह उपलब्ध कराई थी. जिससे यहां पर 1986 में विद्यालय शुरू हुआ. यहां पर कक्षा छटवीं से कक्षा 12 वीं तक शिक्षा व निवास की सुविधा है.  विद्यालय प्रशासन द्वारा विद्यालय की इमारत का निर्माणकार्य शुरू किया. ऐसे में वनविभाग ने उक्त जमीन अपनी मालिकाना होने की बात कहते हुए तथा जमीन किमत 1.96 करोड़ रूपये न मिलने के कारण निर्माणकार्य पर आपत्ती जताई. तबसे विद्यालय परिसर में संरक्षण दिवार का निर्माण समेत अन्य कार्य प्रभावित पड़े थे. 

    11 वर्षो में वनविभाग ने दोगुनी की किमत

     वनविभाग द्वारा वर्ष 1991 में निर्माणकार्य को आपत्ती जताए जाने के बाद विद्यालय प्रबंधन ने प्रशासन और सरकार का इस मामले की ओर ध्यानाकर्षण कराया. उस समय वनविभाग को इस जमीन के बदले कुरखेड़ा तहसील के एरंडी में 24 एकड़ जगह उपलब्ध करा दी. वहीं इस जमीन का मुआवजा 1 करोड़ 33 लाख रूपये वर्र्ष 2011 को वनविभाग को दिया गया.

    लेकिन घोट स्थित विद्यालय के संरक्षण दिवार व अन्य निर्माणकार्य के लिये वनविभाग द्वारा एनओसी नहीं दे रहा है. वनविभाग उक्त जमीन के लिये 2 करोड़ 26 लाख रूपये मुआवजा देने की मांग पर अड़ा था. वनविभाग ने केवल 11 वर्षो की कालावधि में जमीन के दाम दोगुने करने से विद्यालय प्रबंधक को वनविभाग को 2 करोड़ 26 लाख रूपये देने पड़े.

    अब भी वनविभाग के अटकले कायम

    विद्यालय की जमीन संपादन को केंद्र सरकार ने अनुमति मिली है, लेकिन अब तक राज्य सरकार से नहीं मिली. ऐसे में विद्यालय प्रबंधन द्वारा हाल ही में वनविभाग को 2 करोड़ 26 लाख रूपयों की निधि भी दी. लेकिन अब भी वनविभाग की अटकले कायम है. बताया जा रहा है कि, वनविभाग विभिन्न 19 मुद्दे उपस्थित कर इसका पालन करने की बात कही है.