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गडचिरोली. डॉ. शामा प्रसाद मुखर्जी योजना अंतर्गत गडचिरोली वनविभाग में खरीदी किये गये विभिन्न सामग्री में करोडों रूपयों का भ्रष्टाचार  हुआ है. जिससे इस मामले की जांच कर गडचिरोली के दोषी उपवनसंरक्षक के खिलाफ फौजदारी मामला दर्ज कर निलंबित करने की मांग को लेकर मंगलवार से पंचायत राज विकास मंच द्वारा गडचिरोली के मुख्य वनसंरक्षक कार्यालय के सामने बेमियादी ठिय्या आंदोलन शुरू किया गया है.

इस आंदोलन में योगाजी कुडवे, सरपंच दिवाकर निसार, आकाश नीकोडे, रविंद्र सेलोटे, संतोष ताटीकोंडावार, धनंजय डोईजड, नीलकंठ संदोकर शंकर ढोलगे, रमेश मेश्राम, चोखाजी रायसिडाम, निलकंठ गेडाम, धीवरू मेश्राम, कालिदास पेंदाम, उमेश कडते आदि समावेश है. आंदोलनकर्ताओं ने अपनी मांगों का ज्ञापन महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और वनमंत्री को भिजवाया है. 

इन सामग्री के अतिरिक्त किमत दिखाकर किया भ्रष्टाचार

गडचिरोली वनविभाग में डा. शामा प्रसाद मुखर्जी योजना अंतर्गत  गडचिरोली वनविभाग अंतर्गत आनेवले कुल 39 संयुक्त वन व्यवस्थापन समिति अंतर्गत केजविल, रोटावेटर, रेवेरीबल, हल, मलटि क्रॉप सीड ड्रिल, थ्रेशर मशीन, एलेक्ट्रिक ऑटोरिक्षा, वाटरबम आदि सामग्री की खरीदी की गई है. लेकिन इन सामग्री के मार्केट रेट और वनविभाग द्वारा बताये गए रेट में काफी तफावत है. इन सामग्री की किमते अतिरिक्त बताकर भ्रष्टाचार करने का आरोप आंदोलनकर्ताओं ने लगाया है. 

3 करोड रूपयों का भ्रष्टाचार

प्रत्येकी एक संयुक्त वन प्रबंधन समिति में डा. शामा प्रसाद मुखर्जी योजना अंतर्गत की गई खरीदी में 8 लाख 4 हजार 900 रूपये अधिक लगाए कर भ्रष्टाचार किया गया है. इस तरह कुल 39 वनप्रबंधन समिति अंतर्गत कुल 3 करोड 13 लाख 94 हजार 220 रूपयों का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. विशेषत:  संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को विश्वास में न लेते हुए और वरिष्ठ अधिकारियों का दबाव डालकर मनमानी ढंग से सामग्री लादी गयी है. जिससे उक्त योजना को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. ऐसी बात भी आंदोलनकर्ताओं ने कही है. 

आरोप बेबुनियादी, सभी प्रक्रिया नियमनुसार

उपवनसंरक्षक गडचिरोली मिलिश दत्त शर्मा ने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी योजना अंतर्गत गडचिरोली वन विभाग में संयुक्त वन समिती अंतर्गत  किसान लाभार्थियों का  सर्वांगीण विकास करने के लिये  वनविभाग प्रयासरत है. इसके लिये किसानों को खेती उपयोगी उच्च दर्जे के यंत्र व सामग्री उपलब्ध करा देने के लिये संयुक्त वन प्रबंधन समिति के माध्यम से विभिन्न सामग्री खरीदी गई है. उक्त सामग्री की खरीदी मार्केट रेट नुसार होकर 3 वर्ष तक देखभाल, अतिरिक्त सामग्री, यातायात खर्च आदि का समावेश है. वहीं यंत्र देखभाल की 3 वर्ष तक जिम्मेदारी आपुर्तीधारक की रहेगी. इनमें से कुछ यंत्र क दुरूस्ती व यंत्र तुटने पर संबंधित कंपनी जिम्मेदार रहेगी. इस करारनुसार सामग्री खरीदी की गई है. इसमें कही पर भी अतिरिक्त खर्च नहीं किया गया है. सभी प्रक्रिया नियमनुसार होकर संयुक्त वनप्रबंधन समिती के प्रस्ताव नुसार ही की गई है. जिसमें इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार होने का आरोप बेबुनियाद होकर वनविभाग की प्रतिमा मलीन करने का प्रयास किया जा रहा है.