
गड़चिरोली. राज्य के शालेय शिक्षा विभाग में 20 से कम पटसंख्या होनेवाले जिला परिषद की प्राथमिक स्कूले बंद कर उसके बदले में समूह स्कूल निर्माण करने का विचार शुरू है. इस निर्णय पर अंमल शुरू होने पर राज्य के अंतिम छोर पर बसे आदिवासी बहूल, नक्सल प्रभावित तथा अतिदुर्गम गड़चिरोली जिले के करीब 662 स्कूलों को ताले लगने का भय व्यक्त हो रहा है. इस निर्णय के कारण जिले के दुर्गम आदिवासी क्षेत्र के बच्चे शिक्षा के मुख्य प्रवाह से दूर जाने की संभावना निर्माण हुई है.
कम पटसंख्या होनेवाले स्कूलें बदं कर उसका समायोजन करने के आदेश शिक्षा आयुक्त ने परिपत्रक द्वारा राज्य के शिक्षा उपसंचालक तथा शिक्षणाधिकारी को समुह स्कूले विकास करने के आदेश पारित किए है. राज्य के शैक्षणिक निति 2020 के अनुसार गुट के विद्यार्थियों के सामाजिक व शैक्षणिक वृद्धि के लिए गुट सकूलों का विषय शिक्षा विभाग के विचारधीन है. जिसके तहत राज्य के करीब 14 हजार 763 स्कूलें बंद होने की संभावना है. उन स्कूलों में से कुछ स्कूले समुह स्कूले बननेवाली है.
राज्य के शिक्षा आयुक्त के इस निति पर अंमल होने पर गड़चिरोली जिले के 20 से कम पटसंख्या होनेवाले 662 स्कूलों को ताले लगने की संभावना निर्माण हुई है. राज्य शिक्षा विभाग ने कम उत्तीर्ण अंक होनेवाले स्कूलों की सूचित शिक्षा विभाग से मंगाई है. ऐसा होने पर जिले के हजारों विद्यार्थी शालाबाह्य होने की संभावना निर्माण हुई है.
एटापल्ली की सर्वाधिक 122 स्कूले
सरकार के विचाराधीन 20 से कम पटसंख्या होनेवाले स्कूलों के समायोजन के अनुसार गड़चिरोली जिले के करीबन 662 स्कूलों को इसका फटका लगने की संभावना है. इसमें एटापल्ली तहसील के सर्वाधिक 122 स्कूलों को ताले लगने की संभावना है. तहसीलवार सूचि में गड़चिरोली तळस्भ्ल् के 33, आरमोरी 28, कुरखेडा 44, धानोरा 89, चामोर्शी 47, अहेरी 100, सिरोंचा 63, मुलचेरा 21, कोरची, 62, भामरागड 52 व देसाईगंज तहसील के एक स्कूल को ताला लगने का भय व्यक्त हो रहा है.
दुर्गम अंचल के विद्यार्थी ‘वंचित’ होने का भय
सरकार के इस निर्णय के कारण राज्य के अंतिम छोर पर बसे जिले के आदिवासीबहूल क्षेत्र के गरीब बच्चे शिक्षा के लिए दुरदराज पर जाने की संभावना कम होने से दुर्गम अंचल के बच्चे शिक्षा से वंचित रहने का भय शिक्षा तज्ञों द्वारा व्यक्त किया जा रहा है.
आरटीई कानुन की उडेगी धज्जीया
दुर्गम अंचल के गरीब बच्चे शिक्षा के मुख्य प्रवाह में आए इसके लिए सरकार ने आश्रमस्कूल, छात्रावास के निर्मिती के साथ ही शिक्षा का अधिकार कानुन (आरटीई) लागू की. जिससे जिले के दुर्गम क्षेत्र के लाखो विद्यार्थी शिक्षा के मुख्य धारा में आए है. लेकिन सरकार के 20 से कम पटसंख्या होनेवाले स्कूलें बंद करने के नए निर्णय के कारण आरटीई कानुन की ही धज्जीया उडने की बात कहीं जा रही है.