
- दामों में वृध्दि होने से किसान वित्तीय संकट में
गड़चिरोली. रोहणी नक्षत्र खत्म होकर अब मृग नक्षत्र लगा है. लेकिन अब तक दमदार बारिश नहीं हुई है. जिससे किसान वर्ग आसमान से आस लगाए हुए बैठे है. बारिश होते ही किसान खाद खरीदी के लिये भागदौड़ करते है. इस वर्ष खाद की किमतों में भारी वृध्दि होने के कारण किसानों में चिंता का वातावरण निर्माण हो गया है. सभी कंपनियों ने खाद के दामों में 200 से 300 रूपयों की वृध्दि की है. जिससे खाद विक्रेता मालामाल होकर किसान कंगाल होने जैसी स्थिति निर्माण हो गयी है.
मई, जून माह में खरीप सत्र के लिये किसान खेती की मरम्मत कर बारिश की बेसब्री से प्रतिक्षा करते है. जिसके बाद खेती का नियोजन होता है. लेकिन पिछले वर्षो से मवेशियों की संख्या कम होने के कारण गोबर का खाद भी काफी कम हो गया है. जिससे किसानों ने अपना रूख रासायनिक खाद की और मोड़ दिया. उत्पादन बढ़ाने के लिये शुरूआत से ही खाद की आवश्यकता होती है. लेकिन इस वर्ष खाद के दामों में भारी वृध्दि हुई है.
ऐसे में किसानों को उत्पादन खर्च नहीं मिलने से किसान चिंता में पड़ गया है. खाद कंपनी पर सरकार का नियंत्रण न होने से खाद के किमतों में प्रति वर्ष वृध्दि हो रही है. जिससे किसानों को अतिरिक्त पैसे खर्च कर रासायनिक खाद खरीदी करना पड़ रहा है. लेकिन उत्पादन हीं होने से वित्तीय नुकसान हो रहा है.
इन खाद की किमतों में हुई वृध्दि
पोटॅश खाद के दाम में सर्वाधिक वृध्दि हुई है. गत वर्ष यह खाद 930 रूपयों में मिल रहा था. लेकिन इस वर्ष उक्त खाद की किमत 1700 रूपये हो गयी है. डीएपी(डाय-अमोनियम फॉक्फेट) की एक बोरी जो गत वर्ष 1200 रूपयों में मिल रही थी. वहीं बोरी इस वर्ष 1350 रूपयों में मिल रही है. इस वर्ष सभी उत्पादन कंपनियों की डीएपीची 50 किलो की एक बोरी 1350 रूपयों में मिलेगी. वहीं सभी खाद उत्पादक कंपनियों के 10.26.26 यह ग्रेड़ इस बार 1470 रूपयों में बाजार में उपलब्ध है. गत वर्ष यह दाम 1250 रूपयों के करीब था.
जिससे इसमें करीब 200 रूपयों से वृध्दि हुई है. युरिया का दाम स्थिर है. 20.20. 13 यह खाद पिछले वर्ष 1 हजार 200 प्रति बोरी मिल रहा था. वहीं इस वर्ष 1 हजार 450 रूपये हो गया है. एमओपी यह खाद 900 के बजाय अब 1 हजार 700 रूपये और एससपी 300 के बजाय 450 रूपयों में मिलेगा.
सरकार खाद के दाम नियंत्रण में लाए: कुमरे
उमेश कुमरे नामक किसान ने बताया कि, किसानों के उत्पादित खेतीमाल को उत्पादन खर्च पर आधारित समर्थन मूल्य नहीं है. जिसके कारण खेती खर्च में वृध्दि हो गयी है. जिसका खामियाजा किसानों की खेती घाटे में जा रही है. सरकार इस वर्ष धान को बोसन भी नहीं दिया है. जिससे किसान वर्ग वित्तीय संकट में पड़ गया है. अब खाद के दाम बढऩे से खेती कैसे करें? ऐसा सवाल किसानों के समक्ष निर्माण हो गया है. जिससे सरकार खाद के दाम नियंत्रण में लाए.
कृषि विभाग के पथक सतर्क: परदेशी
चामोर्शी की तहसील कृषि अधिकारी स्वाती परदेशी ने बताया कि, खाद की कालाबाजारी न हो, इसलिये कृषि विभाग के पथक कृषि केंद्रों को भेट दे रहे है. यदि कृषि केंद्र संचालक किसानों से अधिक दाम वसूलेंगे तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. वहीं किसी भी केंद्र से अधिक दाम में खाद की बिक्री हो रही है तो, किसान शिकायत करें, ऐसी अपिल उन्होंने की.