
- दवा के अभाव में मरीजों की भागदौड
गडचिरोली. हाल ही में नांदेड के जिला अस्पताल में दवा के अभाव में मरीजों की मृत्यु होने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. इसके बाद राज्य के जिला अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा धज्जियां उड गयी थी. लेकिन अब तक किसी भी तरह का सुधार न होते हुए दिखाई दे रहा है. जिले के मरीजों के लिये स्वास्थ्यदायिनी बने जिला अस्पताल में उपचार के लिये आनेवाले मरीजों को बारह से दवा खरीदने की नौबत आन पडने का मामला सामने आया है. डाक्टर द्वारा दवा लिखकर देने के बाद दवा बाहर से खरीदने की सलाह दी जा रही है. यह मामला पिछले 15 दिनों से शुरू होकर मरीज व उनके परिजनों को वित्तीय नुकसान उठाना पड रहा है.
समायोजन की मांग को लेकर पिछले 5 दिनों से राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के ठेका अधिकारी और कर्मचारी संगठन द्वारा बेमियादी अनशन शुरू किया गया है. इस आंदोलन में जिले के हजारों अधिकारी, कर्मचारी शामिल होने से पहले की जिले की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गयी है. ऐसे में जिले समेत पडोसी जिले के मरीजों का आधार बने जिला अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से दवा की किल्लत दिखाई दे रही है. जिससे औषधोपचार के लिये आनेवाले मरीजों को दवां खरीदने के लिये भागदौड करनी पड रही है.
विभिन्न बिमारियों से ग्रस्त जिले के गरीब मरीज जिला अस्पताल में भी उपचार करने के लिये जाते है. लेकिन मरीजों पर उपचार करने के बाद डाक्टर दवा चिट्टी पर लिखकर देते है. वहीं मरीज अथवा उनके परिजनों द्वारा अस्पताल के औषधी भंडार में पहुंचने पर एक-दो दवा देने के बाद शेष दवा बाहर से लेने की सलाह दी जाती है. मरीजों पर निशुल्क उपचार हो, इसलिये गरीब और जरूरतमंद नागरिक सरकारी अस्पताल में पहुंचते है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिला अस्पताल में दवा की कमी होने के कारण मरीजों को त्रासदि का सामना करना पड रहा है. इस संदर्भ में जिला शल्यचिकित्सक डा. खंडाते समय संपर्क करने पर उनसे संपर्क नहीं हो सका.
दवा के लिये निजी मेडिकल में जा रहे मरीज
जिला अस्पताल में जानेवाले मरीजों की संख्या काफी बढ गयी है. जिससे मरीजों को औषधोंपचार की आवश्यकता होते हुए भी इस अस्पताल में दवा की किल्लत दिखाई दे रही है. जिसका खामियाजा गरीब नागरिकों को भुगना पड रहा है. पिछले कुछ दिनों से मरीजों के हाथ में एक-दो दवा देकर अन्य दवा निजी मेडीकल से खरीदने की बात कही जा रही है. जिसका नतिजा मरीजों को निजी मेडीकल में पहुंचने की नौबत आन पडी है. वहीं इस मामले में अस्पताल प्रबंधन के प्रति तीव्र नाराजगी व्यक्त की जा रही है.
ग्रामीण क्षेत्र में भी स्थिति गंभीर
जिला अस्पताल समेत जिले के ग्रामीण परिसर के स्वास्थ्य केंद्र और उपकेंद्रों में यही स्थिति देखने मिल रही है. पहले ही ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में अधिकारी और कर्मचारियों की कमी है. जिसके कारण मरीजों को समय पर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पा रही है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के पीएचसी में भी एक-दोन टॅबलेट के अलावा अन्य दवां नहीं मिल रही है. जिससे निशुल्क उपचार और दवां मिलने की आस लेकर सरकारी अस्पतालों में जानेवाले मरीजों को निराशा का सामना करना पड रहा है.