गोंदिया. जिले में भारी बारिश की संभावना व्यक्त की जा रही है. इसमें डबको, पोखरों में जलभराव से मच्छर बढ़ सकते हैं. जिससे नागरिकों को परिसर की सफाई, शुष्क दिन का पालन करना चाहिए और अपने घरों के पास पानी जमा न हो इसका ध्यान रखा चाहिए ताकि मच्छरों का प्रजनन न हो. उसे लेकर सावधानी बरतने का आव्हान जिला स्वास्थ्य अधिकारी डा. नितिन वानखेड़े ने किया है.
डेंगू से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग, जिला मलेरिया विभाग व नगर परिषद प्रशासन प्रयासरत है. एडीज इजिप्टी मच्छर की उत्पत्ति संग्रहित स्वच्छ जल में होती है, इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा गृह भेंट कर प्रत्येक गांव के घरों में जाकर कीटवैज्ञानिक सर्वेक्षण किया जा रहा है. प्रत्येक घर में उपयोग के लिए पानी की जांच की जा रही है.
यदि पानी में डेंगू के मच्छर के लार्वा पाए जाते हैं, तो बर्तनों को खाली करना पड़ता है. वहीं खाली नहीं हो सकने वाले जल भंडार में टेमीफॉस या बेट द्राव्य डालें ऐसी भी सूचना वानखेड़े ने देते हुए बताया कि डेंगू वायरल बीमारी है. इस वायरस के चार उपप्रकार हैं. यह रोग एडीज एजिप्टी और एडीज एलोपोपिकस के काटने से फैलता है.
संक्रामक मच्छर के काटने के पांच से छह दिन बाद व्यक्ति बीमार हो जाता है. डेंगू आमतौर पर ठीक होने वाली बीमारी है. ज्यादातर मरीज ठीक हो जाते हैं. डेंगू बुखार तीन प्रकार का होता है, डेंगू बुखार, डेंगू रक्तसावी बुखार व डेंगू शॉक सिंड्रोम ऐसे तीन प्रकार होते है इसमें डेंगू रक्तस्रावी बुखार बीमारी का अधिक गंभीर रूप है जिससे मृत्यु भी हो सकती है.
डेंगू की रोकथाम स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा, निर्माण, ग्राम पंचायत, महिला व बाल कल्याण, जलापूर्ति व स्वच्छता, नगर परिषद/पंचायत, विभिन्न पदाधिकारियों, राजनीतिक पदाधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि की भी जिम्मेदारी है. इन सभी के एकत्रित प्रयासों से डेंगू को निश्चित रुप से नियंत्रित सकता है. जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता अपने कार्य क्षेत्र के गांवों में स्वयं और लोगों द्वारा निवारक उपाय कर रहे हैं. जिला आईईसी अधिकारी प्रशांत खरात के मार्गदर्शन में प्रत्येक स्वास्थ्य संस्था में डेंगू प्रतिबंधात्मक बैनर वितरित किए गए हैं और व्यापक जागरूकता की जा रही है. इसमें जनभागीदारी की आवश्यकता प्रतिपादित की गई है.
डेंग्यू बुखार- छोटे बच्चों में मुख्यतः सौम्य स्वरूप का बुखार हाता है, जबकि वयस्कों को अधिक तीव्रता वाला बुखार आता है. साथ में सिर दर्द, बदन दर्द, कमजोरी, खाने में स्वाद न आना व भूख न लगना, जी मचलना, उलटी, शरीर पर लाल रंगे चट्टे भी आ सकते है.
डेंगू रक्तस्राव – यह गंभीर होता है और बुखार के साथ बाह्य रक्तसाव चट्टे, मसूडों, अंतर्गत रक्तसाव व आतों में रक्तस्राव, प्लेटलेट्स की संख्या कम होना, बार बार उलटी होना, श्वास लेने में परेशानी आदि की परेशानी हो सकती है. वहीं छाती व पेट में पानी भी जमा हो सकता है. अन्य लक्षण डेंगू बुखार जैसे हाते हैं.
डेंगू शॉक सिंड्रोम– यह डेंगू रक्तस्त्रार बुखार के आगे की स्थिति है जो कुछ प्रश लोगों में दिखाई देता है. इसमें मरीज अस्वस्थ महसूस करता है, ठंड, नाडी धीमी होना या तेज होना, रक्तदाब कम होने से मृत्यू भी हो सकती है.
उपचार – डेंगू विषाण्युजन्य बीमारी होने से इसका विशिष्ट औषधोपचार नहीं है लेकिन लक्षणों के अनुसार औषधी दी जाती है. बुखार व बदन दर्द कम करने के लिए वेदनाशामक पॅरासिटीमॉल औषध गुणकारी होती है. स्पिरीन, ब्रुफेन, स्टिरॉइडस, प्रतिजैविके औषधों का इस्तेमाल ना करें.
यह करें उपाय
- सप्ताह में का दिन शुष्क दिन का पालन करें
- परिसर में पानी जमा न होने देने, घर व परिसर स्वच्छ रखे.
- पानी की टंकी व बैरेल स्वच्छ रखे, पानी की टंकी खुली न रखे.
- शाम को दरवाजे व खिड़कियां बंद रखे. खिड़की पर जाली लगाए.
- पौधों की कुंड़ियों में पानी जमा न होने दे और वहां स्वच्छता रखे.
- फ्रिज, कुलर का पानी नियमित बदलते रहे.