विमुक्त व भटके जमाती के लाभार्थी मुफ्त योजना से वंचित

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    गोंदिया: विमुक्त जाति व भटके जमाति वाले समाज को विकास के मुख्य प्रवाह में लाकर उनका जीवन उंचा उठे, उन्हें स्थिरता प्राप्त हो इसके लिए जमीन उपलब्ध कर वहां रमाई व प्रधानमंत्री योजना की तर्ज पर घरकुल निर्माण करें इस उद्देश्य से सन 2011 में शासन ने यशवंतराव चव्हान मुक्त घरकुल योजना क्रियान्वित करने का निर्णय लिया था लेकिन 10 वर्ष की अवधि बीत जाने के बाद  भी इस पर  क्रियान्वयन नहीं हो सका। जिससे यह योजना व्यर्थ साबित हो रही है।

    रमाई व प्रधानमंत्री आवास योजना की तर्ज पर घरकुल का लाभ देने के लिए तत्कालीन सरकार द्वारा 27 दिसंबर 2011 को यशवंतराव चव्हान मुक्त घरकुल नाम की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की गई। इसका लाभ भटके विमुक्त जाति, जमाति के जरूरतमंद लाभार्थियों को मिले व इस पर प्रभावी क्रियान्वयन हो इसके लिए 30 जनवरी 2013 व 12 अगस्त 2014 को शासन ने सुधारित आदेश संबंधित विभाग को निर्गमित किया था। जबकि आवश्यकता अनुसार निधि शासन स्तर से प्राप्त होने में विलंब हो गया। इतना ही नहीं प्रशासन की ढुलमुल नीति से यह योजना पिछले अनेक वर्षो से ठंडे बस्ते में पड़ी है।

    24 जनवरी 2018 में शासन ने विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र की विमुक्त जाति, भटके जमाति इस प्रवर्ग वाले घटकों के लिए राज्य में सुधारित यशवंतराव चव्हान नि:शुल्क घरकुल योजना लागु की गई। इसमें कुल 20 परिवार के लिए पूर्व की तरह एक हेक्टर जमीन उपलब्ध नहीं होने से स्थानीय परिस्थिति अनुसार जमीन की शर्त शिथिल करने का अधिकार जिलाधीश की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समिति को दिया था। इसमें कुल 10 लाभार्थी परिवार के लिए जमीन उपलब्ध होने पर उन्हें लाभ दिया जाए, योजना की निधि रमाई योजना जैसी लाभार्थियों के व्यक्तिगत खाते में सीधे जमा की जाए, ग्रामीण क्षेत्र में सामुहिक रूप से जगह उपलब्ध होने पर व्यक्तिगत लाभ दिया जाए, इसके लिए तहसील स्तरीय समिति में उपविभागीय अधिकारी प्रमुख व 10 सदस्यीय समिति रहेगी। गांव गांव में विमुक्त जाति व भटके जमाति के लोगों की नियम व शर्त अनुसार समिति पटवारी व ग्रामसेवक सर्वे करें ऐसे निर्देश है।

    10 वर्षों बाद भी लाभ नहीं

    इस योजना की शुरुआत होकर 10 वर्ष की अवधि बीत गई है। इसके बावजूद इस योजना अंतर्गत जिले के एक भी गांव में इस समाज के व्यक्ति को घरकुल का लाभ नहीं मिला है। उक्त योजना पर प्रभावी क्रियान्वयन तहसील में हो गया होता तो अनेक लोगों को घरकुल का लाभ मिल सकता था। इसी तरह घरकुल का बॅकलॉग भरने में मदद हो सकती थी  लेकिन शासन, प्रशासन की उदासीनता और इस समाज के  बड़ी संख्या में जरूरतमंद इस महत्वाकांक्षी योजना से वंचित हैं।   

    0 हरिंद्र मेठी

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