Representational Pic
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    गोंदिया: जिले में इस वर्ष 182 आधारभूत धान खरीदी केंद्रों पर 38 लाख 6 हजार 703 क्विंटल धान खरीदी की गई है लेकिन अनेक किसानों के धान चुकारे बकाया है। धान के चुकारों का भुगतान नहीं होने से किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। रबी मौसम की बुआई के लिए खाद, कीटनाशक व मजदूरों को मजदूरी देने के लिए लगने वाली मजदूरी की रकम कहां से लाए? ऐसा प्रश्न किसानों के समक्ष खड़ा हो गया है।

    सन 2021-22 इस वर्ष आधारभूत धान खरीदी केंद्रों पर 1 लाख 30 हजार 450 किसानों ने अपने धान की बिक्री की है। इस वर्ष 38 लाख 6 हजार 703 क्विंटल धान की खरीदी की गई है। जिसमें से 77 हजार 886 किसानों के धान चुकारे उनके बैंक खातों में जमा किए गए हैं। इसके बाद भी गत सप्ताह में 40 करोड़ 44 लाख 66 हजार 333 रु। के धान चुकारे बकाया है। धान की रकम किसानों के बैंक खातों में जमा नहीं हुई है। जिससे रबी मौसम की बुआई के लिए व अन्य व्यवहार करने किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

    किसान खेती पर ही निर्भर होने से खेती के उत्पादन पर किसान वर्ष भर का नियोजन करते है और उसकी वृद्धि के लिए रात दिन खेत में परिश्रम करते हैं। इस सब के बाद भी किसान निसर्ग के कोपभाजन का शिकार होते है। इस वर्ष का खरीफ मौसम घाटे में जाने के बाद किसानों की उम्मीद रबी मौसम पर थी लेकिन रबी मौसम के प्रारंभ में ओलावृष्टि, बेमौसम बारिश व बदरीले वातावरण ने किसानों की आशा पर पानी फेर दिया। इसी में अनेक किसानों ने रबी धान की बुआई की।

    जिले में फिलहाल रबी धान की बुआई जोरों से शुरू है। इसके लिए बुआई, खाद, कीटनाशक, मजदूरों को देने के लिए लगने वाली रकम का खर्च कहां से करें। इसेलेकर किसानों में चिंता देखी जा रही है। किसान चारों ओर से संकट में फंस गया है। गत वर्ष भी नैसर्गिक आपत्ती से खरीफ मौसम घाटे में आ गया था। इस वर्ष भी खरीफ मौसम की प्रतिकुलता ने किसानों के संकट को बढ़ा दिया है।   इस नैसर्गिक संकट से धान, सोयाबीन, तुअर फसल के उत्पादन में कमी होने से किसान संकट से जुझ रहे है। जिले के किसान पिछले 3 वर्षो से नैसर्गिक  संकट का सामना कर रहे है।

    वहीं दूसरी ओर उत्पादित माल का उत्पादन खर्च पर भाव नहीं मिलने से खर्च किया पैसा भी उत्पादन से नहीं निकलने पर खेती दिन ब दिन घाटे का सौदा साबित हो रही है। लेकिन किसानों के पास रोजगार का दूसरा साधन नहीं होने से खेती करते है। किसानों का दारोमदार रबी मौसम पर है। लेकिन पिछले दो तीन दिनों से पुन: बेमौसम बारिश ने हाजरी लगाई। बदरीले मौसम ने कीड़ों का प्रभाव बढ़ाया है। जिससे गेंहू, चना, अलसी, मूंग, लाखोरी, उड़द, मटर जैसी फसलों का बड़ा नुकसान हो गया है। जिले के किसानों के समक्ष अनेक समस्या निर्माण हो गई है और  शासन खरीफ मौसम के धान चुकारे  तत्काल करें ऐसी मांग किसानों ने की है।