Soyabean Crop

    Loading

    सडक अर्जुनी.  तहसील के किसानों को गत वर्ष खरीफ मौसम में बडा आर्थिक नुकसान उठना पडा था. इस आर्थिक कमी को पूर्ण करने की दृष्टि से किसान नए उत्साह के साथ इस वर्ष खरीफ मौसम की ओर बढा. आर्थिक व बीजों की जैसे तैसे व्यवस्था कर बुआई निपटाई गई लेकिन धान फसल पर करपा, गादमाशी व खोडकीडे का प्रभाव बढने से कीटनाशक छिडकाव करने के बावजूद प्रभाव कम नहीं हो रहा है. जिससे किसान दोहरे संकट में फंस गया है.

    किसानी में लागत कहीं व्यर्थ तो नहीं हो जाए ऐसी मनस्थिति किसानों की हो गई है. कोरोनाकाल में भी किसानों ने खेतमाल का उत्पादन शुरू रखा था. खतरे की परिस्थिति में खेती व्यवसाय कर रहे थे. गत वर्ष खरीफ मौसम में बाढ की स्थिति निर्माण होने से किसानों की धान सहित अन्य फसल बह गई थी. वहीं नदी के किनारे वाली खेत जमीन में रेती समा गई थी. इस सब संकट से किसान उबरा ही नहीं कि कीड व रोगों के प्रभाव से खडी फसल नष्ट होने लगी है. जिले के अधिकांश किसानों के उत्पादन में भारी कम आ गई है.

    जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पडा है. इससे निपटने के लिए इस वर्ष समाधान कारक बारिश होने की संभावना मौसम विभाग ने व्यक्त की थी. जिससे किसानों की बाहे खिल गई थी. किसान नए उत्साह के साथ खरीफ मौसम की ओर आकर्षित हो गया. संकट पर मात कर पैसे व बीजाई की व्यवस्था कर बुआई कार्य निपटा दिया. इसी में अगस्त माह में बारिश पर्याप्त नहीं हुई लेकिन अब कुछ दिनों से जिले में सर्वत्र दमदार व कुछ स्थानों पर रिमझिम बारिश शुरू है. जिले में बारिश के पुनरागमन से किसानों को राहत मिल गई है.

    इसके बाद भी समस्या किसनों का पीछा छोडने का नाम नहीं ले रही है. गादमाशी व खोडकिडे के प्रभाव से किसान त्रस्त हो  गया है. महंगी कीटनाशक दवाईयों का छिडकाव करने के बाद भी उसे कोई लाभ होता नहीं दिखाई दे रहा है, जिससे किसानों में निराशा का वातावरण है. बारिश के अभाव में फसल नष्ट होगी क्या ? ऐसा भय भी किसानों को सताने लगा है. जिले के किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. किसान कर्ज के बोझ तले दबे है.