Representational Pic
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    गोंदिया. गोबर से ढेपले, गैस जैस इंधन के साधन और खाद तैयार किया जाता रहा है लेकिन गोंदिया शहर से सटे चुटिया गांव की उच्च शिक्षित महिला ने गोबर से सीधे ईको फेंडली राखियां तैयार करने का उपक्रम हाथ में लिया है. उसका यह उपक्रम गत दो वर्षों से शुरू है, गोबर से बनाई गई इन राखियों की अब राज्य ही नहीं, तो दूसरे राज्यों में भी मांग बढ गई है. 10 से 40 रू. कीमत की राखियां उपलब्ध है.

    इस उपक्रम के माध्यम से अन्य महिलाएं भी आत्मनिर्भर हो रही है. अब तक हम अनेक प्रकार की राखियां देख चुके है, बाजार में चीनी राखियों की धूम मची रहती है. जबकि गोबर से राखी तैयार करने का उपक्रम गोंदिया जिले के चुटिया स्थित लक्ष्मी गौशाला में शुरू किया गया है. कोरोना काल में गांव की महिलाओं ने गाय के गोबर से ईको फेंडली राखियां बनाकर महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा दिया है.

    ऋषी प्रीती टेंभरे इस दम्पति ने 5 वर्ष पूर्व चुटिया में गीर प्रजाति वाली गाय की गौशाला शुरू की. इसके बाद वे दूध तक सीमीत न रहकर गाय के गोबार से सेंद्रिय खाद, अगरबत्ती व गौमुत्र से फिनाईल, औषध तैयार करने की शुरुआत की. इसी बीच कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोध में लोगों को आत्मनिर्भर होने की सलाह दी थी.

    उसे प्रतिसाद देकर प्रीती टेंभरे ने चिनी वस्तुओं के बहिष्कार व रक्षाबंधन उत्सव को देखते हुए उसे गाय के गोबर से ईको फ्रेंडली राखी बनाने की कल्पना सुझी. शुरुआत में उन्होंने इसका अभ्यास किया. अब उसका छोटा सा प्रयास बडे उद्योग में बदल चुका है. अब तक उन्होंने गाय के गोबर से 6 हजार राखियां बनाकर उसकी बिक्री महाराष्ट्र सहित गुजरात राज्य में भी की है. इसके पूर्व उन्होंने कोरोना का में गांव की रोजगार से वंचित महिलाओं को एकत्र कर प्रत्यक्ष में राखी बनाना सिखाया.

    देखते ही देखते गांव की महिलाओं को इस प्रशिक्षण का बडा लाभ हुआ. गाय के गोबर से राखियों का निर्माण  शुरू हो गया. इतना ही नहीं ईको फ्रेंडली राखी व उसकी 10 से 40 रु. इतनी कम कीमत पर उपलब्ध होने से राखियों की खरीदी की मांग भी बढ गई. उल्लेखनीय है कि यह उद्योग जिले के मवैशी पालकों के लिए निश्चित ही मार्गदर्शक साबित होगा.

    संपूर्ण परिसर जुट गया

    प्रीती के लघु उद्योग में उसके पति ऋषी टेंभरे व ननंद श्वेता टेंभरे यह सहयोग कर रहे है. ऋषी टेंभरे यह मार्गेटिंग का काम देख रहे है. जबकि श्वेता तैयार की गई राखियां बाजार में बिक्री के लिए लेकर जाती है. इसमें विशेष पैकिंग पर भी ध्यान दिया जा रहा है. इसी तरह भविष्य में गाय के गोबर से दिपावली के लिए ईको फ्रेंडली दीप बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इस उपक्रम और संकल्प से अन्य लोगों को भी आत्मनिर्भर होने की प्रेरणा मिलेगी.