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    गोंदिया. कोरोना का प्रकोप कम होने के साथ ही स्कूल खुल गये लेकिन अब भी पूरी क्षमता के साथ छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. यही वजह है कि जो छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं, उनके लिए ऑनलाइन का विकल्प रखा गया है. कभी ऑनलाइन तो कभी ऑफलाइन के चक्कर में छात्रों की पढ़ाई पर असर हो रहा है. अब स्कूलों को यह चिंता है कि परीक्षा से पहले सिलेबस पूरा होगा या नहीं.  इस बार 10वीं व 12वीं बोर्ड की ऑफलाइन परीक्षा ली जाएगी.

    इस  हालत में समय पर सिलेबस पूरा करना स्कूलों की जिम्मेदारी होगी. ग्रामीण भागों में तो छात्रों की उपस्थिति अधिक है लेकिन शहरी भाग में अब भी पूरी क्षमता के साथ छात्र नहीं आ रहे हैं. कोविड नियमों के पालन की वजह से उपस्थिति 100 प्रश. नहीं की जा सकती. जो छात्र स्कूल नहीं आ रहे हैं, उनके लिए ऑनलाइन क्लासेस यथावत रूप से शुरू हैं लेकिन कई छात्र ऑनलाइन की वजह से पिछड़ गये हैं. यही वजह है कि अब पालकों को भी चिंता सता रही है कि इस बार ऑफलाइन परीक्षा होने पर छात्रों का नुकसान ही होगा.

    4 महीनों में भी गुंजाइश कम

    कोरोना की वजह से पिछले वर्ष की तरह ही इस बार भी सिलेबस में 25 प्रश. की कटौती की गई है. यानी केवल 75 प्रश. सिलेबस के आधार पर परीक्षा ली जाएगी. फिलहाल चार महीने निकल चुके हैं. यदि मार्च-अप्रैल में भी बोर्ड की परीक्षा ली जाती है तो छात्रों के पास अब करीब 4 महीने ही बचे हुये हैं. इनमें आधा सिलबेस भी पूरा नहीं हुआ है.

    इस हालत में अगले चार महीनों में सिलेबस पूरा होने की गुंजाइश कम ही नजर आ रही है. सिलेबस पूरा करने के लिए हर दिन नियमित रूप से क्लासेस होना अनिवार्य है लेकिन रविवार और बीच-बीच में आने वाली शासकीय छुट्टियों की वजह से करीब 20-25 दिन छुट्टी में निकल जाएंगे. यही वजह है कि शिक्षकों को भी लग रहा है कि सिलेबस पूरा करना मुश्किल होगा.

    ग्रामीण छात्रों का ज्यादा नुकसान

    हालांकि शहरी भागों में अधिकांश छात्र ट्यूशन के भरोसे रहते हैं. ट्यूशन में बोर्ड के साथ ही प्रवेश परीक्षाओं की भी तैयारी कराई जाती है लेकिन अब तक ट्यूशन भी ऑनलाइन ही चल रहे हैं. पालकों का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओं के बारे में सरकार को एक प्रारूप जारी कर यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किस चैप्टर से कितने प्रश्न पूछे जाएंगे.

    ताकि छात्रों को तैयारी में आसानी हो सके और शिक्षकों को भी अध्यापन में परेशान न हो. 9वीं और 11वीं का सिलेबस 10 वीं और 12वीं से भी टफ है. साथ ही यह बेस भी है लेकिन कोविड की वजह से पिछले दो वर्षों से छात्रों की योग्य तरीके से तैयारी नहीं हो पा रही है. इसका सीधा असर विविध तरह की प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी पर भी पड़ रहा है.