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    गोंदिया. इस वर्ष शुरूआत से ही पर्याप्त  मानसून के कारण किसानों की चिंताएं बढ गई थी और फसलें सूखने की कगार पर पहुंच चुकी थी. लेकिन अब कुछ दिनों से जिले में निरंतर बारिश ने किसानों की उम्मीदें जगा दी है. जिले में सर्वत्र बारिश होने से धान की फसलों को संजीवनी मिली है. अब धान फसलों की वृध्दि के लिए किसानों को यूरिया खाद की आवश्यकता है.

    लेकिन जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार जिले के कुछ कृषि केंद्र संचालकों द्वारा यूरिया खाद की जमाखोरी की गई है. इससे खाद की कृत्रिम किल्लत पैदा करते हुए खाद की कालाबाजारी करने की बात सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि जिले में अनेक किसानों को यूरिया खाद की आवश्यकता है. किसानों की मजबूरी का लाभ उठाकर यूरिया खाद की अधिक दामों में बिक्री की जा रही है और किसानों की मजबुरी का लाभ अनेक कृषि केंद्र संचालक उठा रहे हैं.

    लेकिन इस ओर कृषि विभाग तथा प्रशासन न जाने क्यों आंखे मुंदे बैठा है. अनाज उगाकर सबका पेट भरने वाले किसान के साथ प्रकृति व सरकारी नीतियां हमेशा उपेक्षा कर किसानों की आंखें नम करती हैं. प्रकृति से लडकर किसान जैसे तैसे अपनी फसलों को बचा लेता है लेकिन सरकारी अमलदार तथा कृषि केंद्र संचालकों के मनमाने रवैये के बोझ के नीचे दब जाता है. ऐसे में किसान कैसे मुनाफे की खेती करें.  ऐसा सवाल उपस्थित हो रहा है. 

    मजबूरी में खरीदना पड रहा खाद

    धान की खेती में किसानों को रोपाई कार्य के पश्चात यूरिया खाद की  व्यापक आवश्यकता होती है. इस वर्ष बारिश के अभाव में रोपाई कार्य देरी से हुए. इसके पश्चात बारिश विलुप्त होने से किसानों को खाद की आवश्यकता महसूस नही हुई लेकिन सितंबर माह की शुरूआत से बीच बीच में हुई बारिश तथा बीते कुछ दिनों से निरंतर जारी अच्छी बारिश ने किसानों की फसलों को संजीवनी देकर उनके चेहरे पर मुस्कान ला दी.

    जिससे किसान कृषि कार्य में जुटते हुए खाद की खरीदी के लिए कृषि केंद्रों पर जा पहुंचे. बीते कुछ दिनों में किसानों की जरूरतों को देखते हुए कुछ कृषि केंद्रों में यूरिया खाद की किल्लत बताकर किसानों को अधिक दामों में खाद की बिक्री कर रहे है. कुछ केंद्रों के खिलाफ यह शिकायत भी मिली है कि किसानों द्वारा बिल मांगने पर बिल नही देते है, किसानों को मजबूरी में खाद खरीदना पड रहा है.