Paddy
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    गोंदिया. खरीफ मौसम की शासकीय धान खरीदी की शुरूआत हो गई फिर भी शासन की नीति से धान उत्पादक किसान परेशानी में आ गया है. इस बार शासन ने शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर धान की बिक्री करने के लिए प्रति एकड़ 11 क्विंटल धान की सीमा निश्चित की है.

    लेकिन प्रति एकड़ धान का उत्पादन यह 18 क्विंटल से अधिक होने पर शेष धान की बिक्री कहां करें ऐसा प्रश्न किसानों के समक्ष उपस्थित हो गया है. जिले में इस बार खरीफ मौसम में 1 लाख 98 हजार हेक्टर क्षेत्र में धान की बुआई की गई थी. जिले में 2 लाख 50 हजार खातेदार किसान है. खेती यही इस क्षेत्र के किसानों का मुख्य व्यवसाय है. पिछले 7-8 वर्षो से किसान आधुनिक तंत्रज्ञान की मदद से खेती कर रहा है. जिससे धान के एकड के हिसाब से उत्पादन में वृद्धि हुई है.

    इसमें कुछ किसान प्रति एकड़ 20 से 22 क्विंटल धान का उत्पादन लेते है. जिले में धान का मिनीमम उत्पादन यह प्रति एकड़ 18 क्विंटल से अधिक है. शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर गारंटी भाव मिलने की गारंटी होने से किसान इन केंद्रों पर धान की बिक्री करते है. इस बार धान को 1940 रु. गारंटी भाव घोषित किया गया है. इतना दर बाहर नहीं मिलने से किसान शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर ही धान की बिक्री करते है. लेकिन इस बार शासन ने एकड 11 क्विंटल का मानक लगाया है.

    जिससे धान उत्पादक किसान संकट में आ गया है. इस मानक को लगाकर शासन किसानों के साथ मजाक कर रहा है. ऐसा आरोप किसानों ने लगाया है. इस सीमा को निर्धारित करते समय शासन ने किसी भी प्रकार का विचार नहीं किया है. जिससे शेष धान की बिक्री निजी व्यापारियों को करने की नौबत किसानों पर आ गई है. इतना ही नहीं शासन से यह सीमा मिनीमम 18 क्विंटल करने की मांग किसानों ने की है.

    खाद्यान्न व नागरी आपूर्ति मंत्री को पत्र

    जिले के अधिकांश किसान यह शासकीय धान खरीदी केंद्रों पर ही धान की बिक्री करते है. धान खरीदी केंद्रों पर धान की बिक्री करने वाले किसानों को शासन द्वारा बोनस भी मिलता है. जिससे किसानों पर निजी व्यापारियों को धान बिक्री करने की नौबत न आए इसके लिए धान खरीदी की प्रति एकड़ सीमा 18 क्विंटल करने की मांग खाद्यान्न व नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल को भेजे गए पत्र में विधायक विनोद अग्रवाल ने की है.

    धान खरीदी केंद्रों की प्रतीक्षा कायम

    जिले में इस बार खरीफ मौसम के लिए जिला मार्केटिंग फेडरेशन और आदिवासी विकास महामंडल ने 149 केंद्रों को मंजूरी दी है. लेकिन इसमें से 50 से 60 धान खरीदी केंद्र शुरू हुए है. जबकि शेष धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं होने से किसानों ने जरूरत को ध्यान में रखकर निजी व्यापारियों को धान की बिक्री करना शुरू कर दी है.