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    • नवेगांव-नागझिरा में 8 बाघ

    गोंदिया. वनों से घिरे विदर्भ की पहचान देश में व्याघ्र प्रदेश के रूप में है. जिन पर्यटकों ने बाघ नहीं देखा है उन्हें विदर्भ के अभयारण्य में अवश्य बाघ दिखेगा. इसी में गोंदिया व भंडारा जिले के मध्य क्षेत्र वाले नवेगांव-नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प की बाघ के लिए अपनी अलग पहचान है. इसमें फिलहाल 5 मादा व 3 नर इस तरह 8 बाघ है. इसके बावजूद 2 छोटे बाघ सहित 12 शावक हैं. लेकिन वृक्षों की कटाई व प्रादेशिक जंगलों में होने वाले अतिक्रमण यह मानवी हस्तक्षेप का भय इन बाघों के अधिवास के लिए होता दिखाई दे रहा है.

    जिससे बाघ के कॉरीडोर और अधिक सक्षम करने के साथ ही जंगल में मानवी हस्तक्षेप कम करना जरूरी हो गया है. पिछले 10 वर्ष की अवधि में गोंदिया व भंडारा जिले में बाघों की संख्या बढ़ी है. बाघों के इस अधिवास के लिए प्रादेशिक और वन्यजीव वाले जंगल में पोषक वातावरण इसके पिछे कारण है. गोंदिया-भंडारा जिले के जंगल यह मध्य भारत के व्याघ्र प्रकल्पों को जोड़ने वाली कड़ी है.

    नागझिरा से पेंच, नागझिरा-नवेगांव-ताडोबा, नागझिरा-उमरेड, पवनी-करांडला अभयारण्य ऐसा एक कॉरीडोर है लेकिन इन बाघों के विचरण  मार्ग में अनेक बाधाएं आती है. गोंदिया-भंडारा जिले में बाघों की संख्या अन्य वनक्षेत्र की तुलना में कम है. इसके बाद भी जिले में बाघों का चौतरफा अधिवास है. गोंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव, गोरेगांव, सडक अर्जुनी, तिरोड़ा सहित भंडारा जिले के तुमसर, लाखांदुर, अडयाल, साकोली आदि प्रादेशिक जंगलों में बाघ दिखाई दे रहे हैं.

    इसमें अकेले गोंदिया जिले के अधिकांश गांवों में जंगल क्षेत्र है. जिससे थोड़ी-थोड़ी दूरी पर बाघों के अस्तित्व हैं. इसके बावजुद मानव का हस्तक्षेप बढ़ रहा है. जिससें मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं घट रही है. गांव के निकट बाघ के अस्तित्व होने की जानकारी हर एक व्यक्ति को है. बाघ की स्वतंत्रता में बाधा न पहुंचे इसके लिए जंगल में मानवी हस्तक्षेप पर पुर्णत: बंदी की जरूरत है.

    विदर्भ के समृद्धि में वृद्धि

    विदर्भ अब बाघ के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हो गया है. जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेलिब्रिटी विदर्भ के नवेगांव-नागझिरा, ताडोबा-उमरेड-करांडला जैसे अभयारण्यों में सफारी के लिए आते है. वन्यप्राणी और मानव संघर्ष का सुर होने के बाद भी बाघ के लिए अनुकूल वातावरण से विदर्भ समृद्धि की ओर बढ़ रहा है.

    बाघों की संख्या बढ़ी

    सन 2021 की जनगणना अनुसार नवेगांव नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प में लगभग 22 बाघ होने की संभावना है. इसमें विशेषकर बड़े 3 नर बाघ व 5 बाघिनों का समावेश है. इसके साथ ही ढाई से तीन वर्ष के 2 बाघ व छोटे शावक हैं.

    और 6 बाघिनों की वृद्धि

    जिले के जंगलों की दृष्टिकोण से चंद्रपुर जिले के जंगल से और 6 बाघिन लाने नवेगांव-नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प का प्रयास है. इसमें मानवी संपर्क या किसी भी व्यक्ति पर हमला नहीं किया. ऐसी बाघिन की खोज पिछले एक वर्ष से की जा रही है. इसका अध्ययन करने पर अब तक 6 बाघिन पाई गई है. जिससे चरणबद्ध तरीके से इन बाघिनों को जिले के जंगल में छोड़ा जाएगा. इसके अनुसार प्रथम चरण में 2 बाघिन के प्रस्ताव को मंजूरी मिली है.

    अतिक्रमण पर रोक लगे

    प्रादेशिक जंगलों में बढ़ रहा अतिक्रमण यह बाघों के अस्तित्व के लिए बाधा साबित हो रहा है. इसमें वृक्षों की कटाई व अतिक्रमण वन्यप्राणियों के लिए खतरा है. जिससे जंगल के अतिक्रमण हटाने व जंगल में अतिक्रमण नहीं होने देने के लिए ठोस उपाय योजना की जरूरत है.