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    गोंदिया. 4 नवंबर को दिवाली है. कोरोना संक्रमण के काले बादल छटने के बाद बाजार में उत्साह का वातावरण है. इसी में दिवाली का त्यौहार हो और फटाके का जीक्र न हो ऐसा नहीं हो सकता है. लेकिन फटाके तैयार करने के लिए लगने वाला कच्चा माल व ट्रांसपोर्ट महंगा होने से फटाके की कीमत लगभग 25 से 30 प्रश. बढ़ गई है.

    जबकि गत वर्ष की तुलना में इस महंगाई का बिक्री पर बहुत अधिक प्रभाव पडऩे की बात विक्रेताओं ने कही है. दिवाली त्यौहार पर राज्य में बड़े पैमाने पर फटाकों की बिक्री होती है. फटाके के प्रदूषण से कोरोनामुक्त होने वालों को परेशानी होने का भय, फटाकों के खिलाफ पर्यावरण प्रेमियों की जनजागृति, बढ़ी कीमते व बहुत कम चिल्हर दूकानों को मिली मंजूरी आदि से फटाकों की बिक्री पर प्रभाव पड़ा है. वहीं अब कोरोना नियंत्रण में आ जाने से सभी व्यवहार धीरे धीरे शुरू हो गए है. इसी में फटाकों की बिक्री में गति आ गई है.

    कच्चा माल, ट्रांसपोर्ट यह महंगा होने की बात फटाका विक्रेताओं ने बताई है. फटाके निर्माण केलिए बेरियम, नाईट्रेट, सोडियम नाईट्रेट, कॉपर कोटेड वायर, सल्फर, रद्दी पेपर, सुतली जैसे कच्चे माल की आवश्यकता होती है. इस बार इस सब माल की कीमत में भारी वृद्धि हो गई है. इसमें डीजल महंगा होने से ट्रांसपोर्ट कीमत बढ़ गई. जिससे इस वर्ष 75 रु. का सुतली बम का पॅकेट 125 रु., गत वर्ष 26 रु. में बिक्री होने वाला फुलझडी का पॅकेट इस वर्ष 45 रु. में बेचा जा रहा है. इसी तरह 65 रु. वाली चकरी का पॅकेट अब 85 रु. पर पहुंच गया है.