बारिश के कारण नहीं सूख रही गणेश मूर्तियां, मूर्तिकार हुए परेशान

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    गोंदिया. पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश का असर मूर्तियों के निर्माण पर होने लगा है. मूर्तिकारों को मिट्टी की मूर्तियां बनाने व सूखाने में बाधाएं आ रही हैं. दिन-रात एक करने के बाद भी मूर्तियों का निर्माण सही तरीके से नहीं हो पा रहा है.  जिले में बड़े पैमाने पर मूर्तियों की मांग होती है. बारिश के कारण गणेशजी व श्रीकृष्ण की मूर्तियां सूखने में समय लग रहा है.

    प्रतिबंध हटाने में हुआ विलंब

    मूर्तिकारों के अनुसार सरकार ने कोरोनाकाल के दौरान गणेशोत्सव पर लगाए प्रतिबंध को हटाया है. यह प्रतिबंध मात्र गणेशोत्सव से डेढ़ महीना पहले हटाए जाने से मूर्तियों के निर्माण के लिए काफी कम समय मिला है. कम समय में अधिकाधिक मूर्तियां बनाने के लिए मूर्तिकार दिन-रात एक कर रहे हैं. इसके बावजूद मूर्तिकार अपने सालाना लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. इसके पिछे सबसे बड़ी बाधा लगातार हो रही बारिश है.

    मूर्तियों के निर्माण के लिए अधिकतर मूर्तिकारों के पास सुविधाजनक स्थायी जगह नहीं है. कुछ मूर्तिकार किराए की जगह पर काम करते हैं. किसी का खुला प्लॉट या मैदान लेकर वहां पंडाल डालकर मूर्तियों का निर्माण किया जाता है. लेकिन लगातार बारिश के कारण पेंडाल के आसपास पानी जमा हो जाता है जिसके कारण जमीन में नमी आ जाती है. वहीं मूर्तियां सूखाने में भी परेशानी होती है. मूर्तियों को आग दिखाकर सूखाया जाता है. बारिश होने के कारण मिट्टी की मूर्तियां पूरी तरह नहीं सूख पाती हैं.

    गणेशोत्सव के समय को देखते हुए अब मूर्तिकारों ने कुछ प्रमाण में ऑर्डर लेना बंद कर दिया है. कुछ मुर्तियों को अंतिम स्वरूप देने का काम किया जा रहा है. कुछ मूर्तिकारों ने बारिश को देखते हुए मूर्ति बनाने का काम बंद कर दिया है और जो मूर्तियां बनी है उसे झिल्ली बांधकर रख दिया है.

    कोलकाता निवासी महादेव मंडल ने बताया कि बारिश होने से मूर्तियों को सूखने में काफी समय लगता है. हम फिलहाल मूर्तियों को सूखाने के लिए लकड़ी व गोबर कंडे का उपयोग कर रहे है. बड़ी मूर्तियों की कीमत भी 1700 से लेकर 18 हजार रु. तक है. बारिश व हवा के कारण मूर्तियों में दरारे आ गई है जिसे पुटिंग से भरा जाएगा.

    इसके अलावा नई मूर्तियां बनाने का काम लगातार बारिश के चलते कुछ मूर्तिकारों ने बंद किया है. इन मूर्तियों के सूखने के बाद टूट-फूट और मरम्मत करनी पड़ती है. यानी दो बार काम करना पड़ता है. मौसम को देखते हुए अब जोखिम उठाने का समय बचा नहीं है. यदि मूर्तियां पूरी तरह सूख नहीं पाई तो उन पर रंग चढ़ाना मुश्किल होता है. बढ़ती महंगाई के कारण हर वस्तुओं के दाम भी बढ़ गए है.