गोंदिया. उज्जवला योजना की शुरुआत में केंद्र सरकार ने प्रतिपादित किया था कि एक समय की रसोई बनाते समय माता-बहनों के फेफडों में जितना धुआं जाता है, वह 4 हजार सिगरेट के धुएं के बराबर होता है. इसलिए इस योजना के तहत महिलाओं को गेस सिलेंडर दिया गया. इस माध्यम से देश को धुआं मुक्त करने का भी मानस रखा गया था लेकिन अब इस योजना की स्थिति जिस तरह विचारणीय हो गई.
अब सिलेंडर व सिगडी शोभा की वस्तू बने
उसके बाद योजना में मिला गैस सिलेंडर और सिगडी घर के किसी कोने की शोभा बढा रही है और अधिकांश ग्रामों की महिलाएं फिर चूल्हा फूंकती दिखाई दे रही है.
जंगलों से घिरे ग्रामों में वन्य प्राणियों का वास
जिले में बडी संख्या में गांव जंगलों से घिरे हैं. यहां नागझिरा अभयारण्य व नवेगांवबांध राष्ट्रीय उद्यान है जहां बाघ, तेंदुआ, निलगाय, चित्तल, रानगाय, कोल्हे, सुअर, जंगली कुत्ते, भालु आदि का वास है. इन दिनों बाघ, तेंदुआ, भालु आदि के हमले निरंतर बढते जा रहे हैं. इन अभयारण्य से सटे गांव में ही नहीं बल्कि शहरी इलाकों भी बाघ व तेंदुए पहुंच रहे हैं और हमले की घटनाएं कम होने के बजाए बढती ही जा रही हैं.
पहले योजना साबित हुई थी कारगर
ऐसे ग्रामों में इन वन्य प्राणियों के हमलों से लोगों को बचाने व वनों से गांवों की निर्भरता को कम करने के लिए उज्जवला योजना कारगर साबित हुई थी. जिसके तहत नि:शुल्क गैस सिलेंडर मिलने से ग्रामीण क्षेत्रों में चूल्हे जलने बंद हो गए थे लेकिन नि:शुल्क गैस सिलेंडर बंद होने, सिलेंडर के दाम बढने व नाम मात्र की सब्सिडी मिलने के कारण अब ग्रामीण क्षेत्रों में फिर से चूल्हे जलने शुरू हो गए हैं. योजना शुरू होने के बाद जिन चूल्हों की जगह गैस सिगडियों ने ले ली थी.
अब वे चूल्हे फिर जलने लगे हैं.
महिलाओं पर दोहरी मार
इसके कारण महिलाओं पर दो तरह की मार पड रही है. पहली उन्हें फिर से धुएं का सामना करना पड रहा है दूसरी यह कि लकडियां लाने के लिए उन्हें जंगल जाना पड रहा है जहां हर क्षण जंगली जानवरों के हमले का खतरा बना रहता है और इसके लिए गांवों से सुबह के समय जंगलों में लकडियां लाने के लिए जाने वाली महिलाओं के जत्थे के जत्थे दिखाई दे रहे हैं. अब तक जंगली जानवरों के हमलों में अनेक मौत की घटनाएं हो चुकी है. वह सिलसिला बाकायदा जारी है.
वन विभाग भी परेशान
इन हमलों से वन विभाग भी परेशान हो चुका है तथा जिले के विभिन्न इलाकों में वह अपील कर रहा है कि लोग अकेले विचरण न करें. विभिन्न स्थानों में सुरक्षा केंद्र बनाए गए हैं. संपर्क के लिए भी समुचित व्यवस्था की गई है. पता नहीं वह कितनी कारगर होगी और सिलेंडर पर महंगाई का साया कब तक बरकरार रहेगा ?