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    गोंदिया. कोरोना से अनेक लोगों का रोजगार छिन गया है. उनके समक्ष दो वक्त के भोजन का संकट खड़ा है. इसके बावजूद शालाओं द्वारा दरियादिली दिखाने की बजाए शुल्क वृद्धि व शुल्क वसूली के लिए तगादा लगाया जा रहा है. इसी में गत वर्ष शालाओं ने नाममात्र शुल्क कम कर पालकों से बाकी के पैसे वसूल कर लिए हैं. इस बार भी उसी प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है.

    किताबों के लिए पालकों को फोन करना शुरू हो गया है और कुछ दिनों बाद शुल्क के लिए फोन किए जाएंगे. कोरोना काल के बुरे दौर में भी शालाओं द्वारा सहानुभूति के बजाए केवल पैसे कमाने का कारोबार शुरू है. इसी में शिक्षा विभाग के 20 में से 16 पद रिक्त है. ऐसे में अब पालकों ने शिकायत किससे करे ऐसा सवाल निर्मित हो गया है.

    उल्लेखनीय है कि शिक्षाधिकारी, उप शिक्षाधिकारी व गट शिक्षाधिकारी के पद रिक्त होने से अब न्याय किससे मांगे ऐसा प्रश्न उपस्थित होता है. जिससे पद भर्ती की मांग भी हो रही है. कोरोना काल में शिक्षा विभाग के पास 5 शिकायतें मिली है. जिसमें 3 शिकायत शिक्षा शुल्क संबंधी व 2 शिकायत शिक्षकों के वेतन को लेकर है. इन सभी 5 शिकायतों का निवारण किया गया है. जिससे अब विभाग के पास एक भी शिकायत पेंडिंग नहीं है.

    शिक्षा विभाग के पद रिक्त होने से पालक या शिक्षकों की शिकायतों के निवारण करने के लिए उप शिक्षाधिकारी की ही शिकायत निवारण अधिकारी के रुप में नियुक्ति की गई है. इसके साथ ही शिकायतों का समय पर निवारण किया जा रहा है. जिससे पालकों को शिक्षा शुल्क हो या अन्य कोई शिकायत होने पर उन्होंने सीधे शिकायत करनी चाहिए. इसके अलावा शिक्षा विभाग से अन्य शिकायत होने पर उनका समय पर निवारण किया जाएगा. ऐसी जानकारी शिक्षाधिकारी राजकुमार हिवारे ने दी.

    शिक्षक संगठन के पदाधिकारियों क्या है कहना  

    जिले में शिक्षा विभाग का कार्य प्रभारी अधिकारियों के भरोसे चल रहा है. इस संबंध में महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला महासचिव एसयू वंजारी के अनुसार ऐसे में शिक्षकों की शिकायत हम प्रभारी अधिकारियों के समक्ष रखते हैं, लेकिन वे हमारी समस्याओं का निवारण नहीं करते. जिससे अनेक शिकायतें प्रलंबित पड़ी हैं.

    जब तक स्थाई अधिकारी नहीं आते तब तक इसका समाधान नहीं होगा. इसी तरह महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के तहसील महासचिव किशोर बावनकर के अनुसार जिले के शिक्षा विभाग में बड़ी संख्या में पद रिक्त होने से सभी कार्य प्रभारी के कंधों पर डाले गए हैं. जिससे शिकायत करने के बाद भी उनसे समय पर काम नहीं होने से शिकायतें प्रलंबित हैं. इसके लिए पद भर्ती करना जरुरी है. 

    कहां करें शिकायतें 

    इसी विषय पर पालक माया शिवणकर के अनुसार कोरोना काल में शाला बंद होने से बालक एक दिन भी शाला में नहीं गए हैं, लेकिन शाला द्वारा शुल्क वसूली के लिए तगादा लगाया जाता है. पिछले वर्ष ऐसा ही हुआ था. अंत में थोड़ी से छूट देकर शाला ने बाकी का शुल्क वसूल किया. इस बार भी वही प्रक्रिया दोहराई जा रही है. इस पर पक्की कार्रवाई होगी. इसके लिए शिकायत किसके पास करें यह सवाल सताने लगा है. इसी क्रम में छाया नागपुरे के अनुसार आज शिक्षा इतनी महंगी हो गई है कि वह सर्व सामान्य के लिए भारी पड़ रही है. इसके बाद भी अपने पाल्यों के शिक्षा के लिए पालक कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन कोरोना से पाल्य शाला में गए ही नहीं हैं, जबकि शालाओं से शुल्क लिया जा रहा है. 

    शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की भरमार

    जिप शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की भरमार है. जिससे कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों पर काम का बोझ अधिक बढ़ गया है. इसमें शिक्षाधिकारी का एक पद रिक्त है. गट शिक्षाधिकारी के 8 में से 7 पद रिक्त है. उप शिक्षाधिकारी के 3 पद रिक्त है. अधीक्षक शालेय पोषण आहार 7 में से 4 पद रिक्त है. लेखाधिकारी का 1 पद रिक्त हैं.