पुलिस द्वारा जब्त की गई अवैध शराब पुलिस कर्मियों ने ही की गायब, युवकों का किया इस्तेमाल

    Loading

    • युवकों ने एक चर्चा में किया खुलासा 

    सालेकसा. आदिवासी बहुल क्षेत्र में बसे पुलिस थाना सालेकसा में इन दिनों कुछ नए नए मामले, घटनाएं चर्चा का विषय बनते जा रही है. पुलिस द्वारा जब्त की गई अवैध शराब पुलिस कर्मी ही गायब कर रहे हैं. इसमें तहसील के कुछ युवकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है.

    पता चला है कि सालेकसा थाने में कार्यरत पुलिस कर्मी ढबाले, सोनवणे, चक्रे व सोनी ने रिकॉर्ड पर शराब कम दिखाकर सालेकसा थाने में शराब की बची हुई पेटियों की तस्करी की. उक्त पुलिस कर्मियों ने सालेकसा थाने में स्नेही संबंधी विशाल दसरिया, दीपक बसोने व भूषण मोहारे को फोर वीलर वाहन लेकर थाने में बुलाया. उन्हें बताया गया कि उसके पास कुछ महत्वपूर्ण सामग्री है और वह उसे कुछ दिनों के लिए अपने पास रखेगा.

    विशाल ने जब इस बारे में पूछताछ की तो बताया गया कि यह अवैध शराब है और हमने इसे अपने कब्जे में ले लिया है. विशाल ने अपने पुलिस मित्र सोनी पर भरोसा किया और सारा सामान फोर वीलर वाहन से अपने खेत में ले गया. उक्त पुलिस कर्मियों के दो-तीन दिन बाद इन्हीं पुलिस कर्मी में से एक ने विशाल को फोन पर आठ में से दो पेटी शराब दे देने को कहा. इसके बाद विशाल ने बक्सों को संबंधित व्यक्ति को सौंप दिया.

    जैसे ही वह आदमी चला गया, पुलिस ने उसके शेष छह पेटी पर छापा मारा, उसके साथ मारपीट की और उसे अवैध शराब का कारोबार करने का आरोप लगाते हुए सालेकसा थाने ले गए.  इस पर विशाल और उसके साथियों ने कहा कि यह मेरी पेटियां नहीं है बल्कि मुझे आपके पुलिस वालों ने ही लाकर दी थी. 

    लेकिन इसका कोई जवाब न देते हुए विशाल की पिटाई कर दी और सालेकसा थाने मे लाकर उन्होंने कहा कि वह आप सभी के खिलाफ केस दर्ज कराएंगे और पैसे की मांग करते हुए कहा कि अगर आप एक लाख रुपये का भुगतान करेंगे तो वह मामला दर्ज नहीं करेंगे. गांव में अपनी प्रतिष्ठा के डर से सभी युवकों ने 70,000 रु. एकत्र किए और शेष 30,000 रु. बाद में देने को तैयार हो गए.

    उन्हें अपराध दर्ज किए बिना जाने दिया गया. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात के सबूत भी दिखाए कि विशाल ने 30 हजार रु. में से 15,000 रु. सोनी के अकाउंट में ऑनलाइन भेजे थे. महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस कर्मियों द्वारा किए गए ऐसे अपराध विभाग के लिए शर्म की बात है. युवकों ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से संबंधित पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की.

    इसी मुद्दे पर जब वे थानेदार से मिलने गए तो पुलिस कर्मियों ने शिकायत लेने से इंकार कर दिया. इस घटना की जानकारी युवकों द्वारा गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील, जिला पुलिस अधिक्षक गोंदिया व मानव अधिकार आयोग महाराष्ट्र को एक पत्र भी लिखा है. मामले की जांच के लिए उप विभागीय पुलिस अधिकारी जालिंदर नालकुल को सौंपा गया है. 

    इस संबंध में उप विभागीय पुलिस अधिकारी जालिंदर नालकुल के अनुसार “मेरे तरफ यह मामला आया हुआ है और इसकी संपूर्ण जांच के बाद में इस मामले को सुलझाया जाएगा.