आभूषण चुराने वाली टोली गिरफ्तार

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    अर्जुनी मोरगांव. ईश्वर श्रद्धा का प्रलोभन देकर अर्जुनी की व्यापारी से मंगलसूत्र चुराने वाले 5 आरोपियों को अर्जुनी मोरगांव पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पकड़ी गई टोली अंतर्राज्यीय टोली है. इन सभी आरोपियों को मध्य प्रदेश के पांढुर्णा से गिरफ्तार किया गया है.

    न्यायालय में पेश किए जाने पर उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत दी गई है. इन आरोपियों ने ओजस जनरल स्टोर्स की संचालिका के आंखों में धूल झोंककर उनका 12 तोले का मंगलसूत्र उड़ाया. थानेदार सतीश जाधव के मार्गदर्शन में टीम तैयार कर पास के सभी पुलिस थानों में इसकी सूचना दी गई.

    सीसीटीवी फुटेज खंगालने पर इस घटना का खुलासा हुआ व पांढुर्णा पुलिस की सहायता से अर्जुनी मोरगांव पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार आरोपियों में आंबीवली कल्याण ठाणा निवासी वसीम सिराज अब्बास (37), टीटी नगर जिला शहडोल निवासी माशाअल्ला नव्वर अली (32), भोपाल निवासी मुख्तार अली पिल्लु अली (38), जीतेंद्र गोकुलप्रसाद राय (30), गंगाराम नगराम बरबरैया (45) का समावेश है. 

    विभिन्न स्थानों पर की चोरी

    पकड़े गए आरोपियों ने 3 सितंबर को मध्य प्रदेश के बालाघाट शहर से 4 तोला सोना चोरी किया. उसी दिन दोपहर में अर्जुनी मोरगांव की महिला व्यापारी से 12 ग्राम का मंगलसूत्र उड़ाया. वहीं चंद्रपुर में 4 सितंबर को 1 लाख 25 हजार रु. के गहने चुराए. उसी रात में वणी यवतमाल में पुन: 1 लाख 25 हजार रु. के गहने पर हाथ साफ किया.

    पश्चात वणी मार्ग होते हुए पहले नागपुर व बाद में पांढुर्णा गए. अर्जुनी मोरगांव थाने द्वारा की गई गिरफ्तारी की यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक गोंदिया, उपविभागीय अधिकारी देवरी के मार्गदर्शन में थानेदार सतिश जाधव, सहायक पुलिस निरीक्षक सोमनाथ कदम, हवालदार आनंदराव इस्कापे, पुलिस नायक बेहरे, विजय कोटांगले, गौरीशंकर कोरे, श्रीकांत मेश्राम, पंकज शिवणकर, कुहीकर, लोकेश कोसरे, प्रशांत बागडे व राहुल चिचमलकर ने की. 

    ऐसे दिया करते थे घटना को अंजाम

    टोली के लोगों ने रेकी की कला सीखी. उन्हें गांव, शहर आदि के नाम मालुम नहीं थे. रास्ते में जो भी गांव, शहर या बाजार का स्थान दिखाई दिया तो वे वहां पहुंच जाते थे. चोरी का अभियान सफल करने के लिए सुरक्षित स्थान का चयन करते थे. पश्चात वहां टोली प्रमुख को बुलाया जाता. हमे दान करने का शौक है ऐसा प्रचार करते हुए पूजा अर्चना की जाती थी व पूजा में स्वयं के पास के 1 हजार रु. रखकर यह रु. मेरी तरफ से आप दान करो ऐसा लोगों को बताया जाता था.

    एक हजार रु. की लालच में आम व्यक्ति सहज तैयार हो जाता था और इसी बात का फायदा उठाते हुए टोली के सदस्य उक्त व्यक्ति को पूजा पर सोने के आभूषण रखने कहते थे और फिर चालाकी से वे सोने के आभूषण चुरा लेते थे. पूजा स्थल से जाते वक्त लगभग आधा घंटे तक पूजा स्थल की सामग्री को हाथ न लगाए ऐसा बताकर वे वहां से निकल जाया करते थे. 

    पुलिस को भी चकमा देती थी टोली

    चोरी के पश्चात टोली के सदस्य दुपहिया वाहन से ग्राम से बाहर चले जाते थे. कुछ दूर पर चौपहिया वाहन तैयार रहता था यह लोग वहां दुपहिया वाहन छोड़कर चौपहिया वाहन में बैठकर उसी वाहन में अपने कपड़े बदल लिया करते थे और वापस दुपहिया वाहन से ही यात्रा करते हुए अलग अलग दिशा में पलायन करते थे. लंबी दूरी तक पहुंचने पर मोबाइल से संपर्क कर एकसाथ जमा होते थे. इस तरह यह टोली पुलिस को भी चकमा देती थी.