गोंदिया. अर्जुनी मोरगांव तहसील में केशोरी न केवल जिले में बल्कि पूरे महाराष्ट्र में मिर्च की खेती के लिए प्रसिद्ध है. इस सप्ताह हुई बारिश और बादल छाए रहने से सूखी मिर्च की फसल को व्यापक नुकसान हुआ है. इससे मिर्च उत्पादकों पर संकट आ गया है. मिर्च उत्पादक किसान चिंतित हैं कि सूखी मिर्च की फसल पर पानी बरसने के कारण मिर्च काली हो जाती है और सही कीमत नहीं मिलती है. अर्जुनी मोरगांव तहसील के केशोरी क्षेत्र में बेमौसम बारिश हुई.
कटी और सूखी मिर्च भीग गई. इससे मिर्च काली होने से नुकसान होने की आशंका रहती है. पिछले पंद्रह दिनों से मिर्च की कटाई का सीजन चल रहा है. मिर्च की फसल काटने के बाद उसे आठ दिन तक धूप में सुखाना पड़ता है. अभी यह प्रक्रिया चल ही रही है. वहीं बेमौसम बारिश ने सूखी मिर्च भीगा दी है. भीगी मिर्च अच्छी गुणवत्ता की नहीं होती है और इसलिए उचित मूल्य नहीं पाती है.
सरकार मिर्च की फसल के लिए गारंटीकृत मूल्य की घोषणा नहीं करती है. जिससे मिर्च की फसल को बाजार भाव नहीं मिलता है. सरकार इसकी अनदेखी कर रही है जबकि वास्तविक किसानों को उत्पादित प्रत्येक फसल के लिए गारंटीकृत मूल्य का भुगतान करने की आवश्यकता है. इसी कारण से मिर्ची उत्पादक किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है.
निजी व्यापारियों को मिर्च की बिक्री
अर्जुनी मोरगांव तहसील के केशोरी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन होता है. यहां की मिर्च राज्य में प्रसिद्ध है. लेकिन मिर्च खरीदने के लिए कोई गारंटीकृत मूल्य केंद्र नहीं होने के कारण किसानों को मिर्च को निजी व्यापारियों को कम कीमत पर बेचना पड़ता है. जिससे गारंटी केंद्र शुरू करने से किसानों को मदद मिलेगी.
हाथ आई फसल उजड़ रही
उपज लागत खेती की लागत से कम है, किसान मिर्च की खेती के तहत क्षेत्र को कम करने और अन्य फसलों को उत्पादित करने का प्रयास कर रहे हैं. साथ ही बेमौसम बारिश से किसानों को बड़ी परेशानी हुई है क्योंकि मिर्च की फसल को इस बारिश ने उजाड़ दिया है. किसान संकट से उब चुके हैं, मजदूर वर्ग नहीं मिल रहे है, इन तमाम दिक्कतों को देखते हुए मिर्च उत्पादक किसानों ने मांग की है कि केंद्र सरकार मिर्च की उपज के लिए गारंटी भाव कीमत की घोषणा करे.