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    गोंदिया. नए-नए तंत्रज्ञान आने के साथ ही मनुष्य भी अब स्पर्धा में टिके रहने के लिए मशीन जैसा काम कर रहे है. लेकिन इस भागदौड़ भरे जीवन में कुछ समय परिवार के लिए निकालकर कहीं घूमने जाने की सभी की इच्छा रहती है. बड़े महानगरों में काम के दिन काम व छुट्टी के दिन केवल मौजमस्ती का कल्चर है.

    जिससे इस टूरिज्म कल्चर को ध्यान में रखकर वहां पर्यटन स्थलों के लिए महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम की पर्यटन बस सेवा उपलब्ध है. जिले में यह टूरिज्म कल्चर नहीं है. इसके अलावा वैसे पर्यटन स्थल भी नहीं है. जिले में नवेगांव-नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प यह महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है. लेकिन वहां बस को प्रवेश नहीं है.

    एसटी से पर्यटन की सुविधा नहीं

    जिला जंगलों से भरा पड़ा है. इस क्षेत्र में पर्यटन स्थल जंगल व्याप्त है. जिससे वहां बसों को प्रवेश नहीं है. इसी तरह निकट के जिलों में भी पर्यटन स्थल के रूप में बहुत बड़ा स्कोप नहीं जिससे बसें शुरू करने के बाद भी उसे उतना प्रतिसाद नहीं मिलने की संभावना को ध्यान में रखकर पर्यटन बस सेवा शुरू नहीं की गई. पर्यटकों को अपने निजी वाहनों से पर्यटन करना पड़ता है. वही सुविधाजनक है.

    ऑनलाइन बुकींग की जा सकेगी

    रेलवे की तर्ज पर अब महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम भी कार्य कर रहा है. बस ट्रॅकिंग, ऑनलाइन बुकींग आदि सुविधा उपलब्ध की गई है. वर्तमान में बसों का आरक्षण ऑनलाइन हो रहा है. इस संबंध में रापनि की गोंदिया डिपो व्यवस्थापक संजना पटले के अनुसार जिले में जो पर्यटन स्थल है वहां बसों को बंदी है. इसी तरह हमारे जिले में बड़े शहरों जैसा टूरिज्म कल्चर नहीं है. जिससे डिपो द्वारा पर्यटन बस शुरू नहीं की गई है. आगे स्कोप होने से बस शुरू की जाएगी. ऐसी निगम के पास सुविधा है.

    स्थल नहीं होने से बस का क्या लाभ

    इस संदर्भ में योगेश नागवंशी ने बताया कि जिला व पडोस के परिसर में पर्यटन स्थल अधिक नही है. जहां पर्यटन स्थल है वहां बसों को प्रवेश नहीं होने से अपनी सुविधा से जाना पड़ता है. ऐसे में पर्यटन बसें शुरू होने के बाद भी उसका अधिक लाभ नहीं होगा. इसी तरह अनिल माहुले का कहना है कि पर्यटन के लिए जाते समय अपने निजी वाहन से जाने पर अपनी मर्जी से घूमना व मजा करना सुविधाजनक होता है. जिले के पर्यटन स्थलों में बस दिखाई नहीं देती. बस शुरू होने पर पर्यटक प्रतिसाद देंगे.