संत नरहरी पत संस्था द्वारा करोड़ो की हेराफेरी, सहायक निबंधक व पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

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    गोंदिया.  राज्य सहित जिले में बडी संख्या में पत संस्थाएं शुरू की गई लेकिन कुछ  संस्थाओं ने नियमों के विपरित  गरीब और साधारण निवेशकों की वर्षों की मेहनत की जमा  पूंजी को लूट डाला. जबकि जमाकर्ता अब अपनी ही रकम वापस पाने के लिये दर दर की ठोकरें खा रहे हैं.  जिले के तिरोड़ा में एक पत संस्था के अनेक संचालक अभी जेल में  हैं.  जबकि उनसे जिनको राशि लेना है, वो अपने मेहनत की कमाई वापस पाने के लिये दर दर की ठोकरें  खाते हुए आंदोलन की राह पर हैं.

    इस तरह का दूसरा मामला सामने आया है.  इसमें संस्था ने  गरीब और साधारण निवेशकों के लगभग ४.५ करोड़ रु. पिछले दो साल से डकार लिये हैं  और निवेशकों को उनकी राशि लौटाने के लिये जहां इस संत नरहरी पत संस्था के संचालक मैं तो तैयार हूं मेरा दूसरा संचालक कुछ नहीं दे रहा कह कर घुमाया जा रहा है.  इन भ्रष्ट संचालकों के संरक्षक सहायक निबंधक व रामनगर पुलिस बने हुए हैं.

    जिनके द्वारा त्वरित कार्यवाही नहीं कर तथा ऑडिट में सब कुछ साफ हो जाने के बाद भी एफआईआर व कार्रवाई संचालक सदस्यों के खिलाफ नहीं की जा रही है.  जिसका परिणाम है कि इस संस्था के संचालक सदस्य अब उल्टे निवेशकों के सामने उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता के दावे कर रहे हैं. 

    गोंदिया में निवेशकों के ४.५० करोड़ लगभग का भुगतान निवेशकों को नहीं किये जाने वालों में एक बड़े निवेशक और पतसंस्था के एजेंट भास्कर  कायरकर, तुषार करंडे, संतोषी थानेकर गौतम के अनुसार  उन्होंने  लोगों के पैसे पत संस्था में जमा कराएं.

    उसकी   लिखित पासबुक व  कॉपी उन्होंने   बैंक में जमा की है लेकिन संचालकों से जब  बात करते हैं तो उसमें से कुछ संचालक अब यह कह रहे हैं कि हम संचालक नहीं है लेकिन जब पतसंस्था का चुनाव होता है तो सरकारी अधिकारी वहां मौजूद रहता है. अधिकारी ने इनका चुनाव करवाया और जिनके नाम रिकॉर्ड में दर्ज हैं. अब वे जिम्मेदारी से भागने का प्रयास कर रहे हैं. 

    मेरी मौत के लिये संचालक, सहायक निबंधक और  पुलिस जिम्मेदार  होगी 

    पत संस्था के एजेंट भास्कर  कायरकर ने कहा कि पिछले दो साल से हमें घुमाया जा रहा है, लोग हमें अपनी राशि के लिये परेशान कर रहे हैं, किसी के घर में  शादी है तो कोई बीमारी से परेशान है. जो रकम पत संस्था में लोगों ने जमा की थी,उसे  पाने के लिये उन्हें बार बार हमारे दरवाजे पर चक्कर लगाना पड़ रहा है, जबकि संचालक मैं देने तैयार हूं, बाकी लोग तैयार नहीं कह कर बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं. 

    कायरकर ने आगे कहा कि उनके माध्यम से लगभग 60 लाख रु.  संस्था  पर बकाया है.  यदि अब पैसा नहीं लौटाया गया तो वे सरेआम फांसी लगा लगा लेंगे और उसकी जिम्मेदारी   संचालक, सदस्य, सहायक निबंधक और रामनगर पुलिस की होगी.   जो कि  शिकायत पर संचालकों के खिलाफ अपराध दर्ज कर उनको गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं.

    अन्य एजेंटों ने बताया कि पतसंस्था के संचालक प्रवीण प्रमोद ढोमने, समीत कालिका शंकर चक्रवर्ती, प्रकाश बाबूराव वड़ीचार, पंकज सुरेश वंजारी, विजय मानिकराव करंडे, नितेश दरियाव बिसेन, दिनेश नंदलाल टेकाम, बबनराव केशव राव रोकड़े, संजय परसराम खांडेकर, पंकज विश्वनाथ मेश्राम, अनिशा चंद्रकांत ढोमने, ज्योति रामभाऊ सोनवाने, वैशाली सदानंद रहांगडाले में से अधिकांश की आर्थिक स्थिति बहुत साधारण थी लेकिन 2009 से 2017 तक जबकि पत संस्था में लोगों के  निवेश किये.

    उसके  बाद इन सबने अपने बड़े बड़े मकान बना लिए और करोड़पति बन गए जबकि उसके बाद 2018 में फिर चुनाव हुए जिसमें प्रवीण प्रमोद ढोमने, कालिका शंकर चक्रवर्ती, पंकज सुरेश, नितेश दरियाव बिसेन, बबनराव केशव राव रोकड़े, योगेश विश्वनाथ मेश्राम, अनिर्षा चंद्रकांत ढोमणे, अपर्णा निरज करंडे, लेखराम पतिराम चनाप, दर्शन किशोर देशभ्रतार यह जो संचालक  हैं व जिन्होंने सामान्य निवेशकों के करोड़ों करोड़ों रु.  का गबन कर अन्य प्रॉपर्टी, सोना चांदी खरीद रखी है.

    इन सभी की सीआईडी जांच होनी चाहिए और संचालक जिन्होंने अपने नाम कुछ ना कर अपने परिवार अपने रिश्तेदारों के नाम से बड़े बड़े निवेश किए हैं इसकी भी संपूर्ण जांच  कर संस्था के अभी तक 2009 और 2018 में सभी संचालकों पर एमपीआयडी  कानून के तहत कार्रवाई कर ग्राहक संरक्षण कानुन के अंतर्गत  जब तक गरीब लोगों के पैसे नहीं मिलते, तब तक इनको जमानत ना देते हुए इनके द्वारा गत वर्षों में अर्जित की गई संपत्ती की नीलामी कर संपूर्ण राशि निवेशकों को लौटाई जानी चाहिये.