Fourth class worker denied promotion, related department is deferring

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    गोंदिया. जिप के अधिकांश विभागों ने सन 2011 से जानकारी अपडेट नहीं की है. जिससे सर्वसामान्य नागरिकों को जिप में क्या चल रहा है इसकी जानकारी ही नहीं मिल रही है. कोई जानकारी या सूची देखना हो तो वेबसाईट पर पुरानी जानकारी दिखाई दे रही है. कहीं जिप का आयटी विभाग जानबुझकर तो ऐसा नहीं कर रहा है. ऐसा सवाल खड़ा किया जा रहा है. 500 से अधिक ग्रापं और 900 से अधिक गांवों की विकास की गंगा जिले के मिनी मंत्रालय याने जिप के माध्यम से संचालित होती है.

    शुरूआत के केवल विभिन्न टैक्स के माध्यम से और शासन द्वारा मिलने वाली अल्प निधि से जिले का विकास साधा जा रहा था  लेकिन समय बदलते गया और नई नई योजना शासन ने क्रियान्वित करना शुरू किया है. अंतिम छोर तक विकास सही अर्थो में होना चाहिए. इसके लिए निधि की कमी नहीं होने दी गई. जैसे जैसे निधि बढ़ती गई वैसे वैसे जिप के काम का दायरा बढने लगा. 

    पिछले कुछ वर्षो से वित्त आयोग की दमदार निधि से अब जिप से बड़े पैमाने पर निधि का प्रावधान किया गया.  शासन ने हर एक कार्यालय में होने वाला कार्य पारदर्शक हो इसके लिए सभी जानकारी उस उस कार्यालय के विभागों को अपडेट कर जानकारी का वितरण नागरिकों के लिए खुला किया है. इसके लिए योजना, लाभार्थी, निधि व प्रगती अहवाल आदि के माध्यम से वह जानकारी उस कार्यालय का अपने वेबसाईट पर डालना अपेक्षित है.

    उल्लेखनीय है कि गोंदिया जिप एक दशक पुर्व से ग्राहकों के साथ तत्पर होने से आयएसओ मानक से विभूषित है  लेकिन यह मानक अब केवल दिखावा साबित हो रहा है. जिप में वर्तमान में सामान्य प्रशासन, ग्रापं, जलापूर्ति व स्वच्छता, महिला व बालकल्याण, वित्त, प्राथमिक शिक्षण, माध्यमिक शिक्षण, स्वास्थ्य, कृषि, पशु संवर्धन, समाज कल्याण, ग्रामीण जलापूर्ति, लघु पाटबंधारे, मग्रारोहयो, सार्वजनिक बांधकाम आदि विभाग हैं.

    इनके माध्यम से क्रियान्वित की  योजना और आय व्यय की निधि तथा लाभार्थियों का विवरण आदि जानकारी जिप के अधिकृत वेबसाईट पर प्रदर्शित  करना जरूरी है. लेकिन पारदर्शक कार्य को तिलांजली देकर जिप के अनेक विभागों ने सन 2011 से जानकारी अपडेट नहीं की है. जिससे सर्वसामान्य नागरिकों को जिप में क्या चल रहा है इसकी जानकारी  नहीं मिल रही है. इसी तरह कभी कोई जानकारी या सूची देखने के लिए वेबसाईट खोलने पर पुरानी जानकारी दिखाई देती है.

    इसमें मजेदार बात यह है कि महिला बाल कल्याण विभाग ने तो मासिक प्रगती अहवाल के खाली कॉलम में एक योजना का आवेदन अपडेट कर रखा है. वहीं ग्रापं विभाग 2006 केबाद अपडेट ही नहीं हुआ है. जिप में संपूर्ण आस्थापना का भार वहन करने वाले सामान्य प्रशासन विभाग ने 2010 से इस वेबसाईट से तौबा कर ली है. जबकि लघु पाटबंधारे विभाग में भी 2011 तक ही जानकारी दिखाई दे रही है.

    अधिकारी पदाधिकारियों की जानकारी अपडेट

    जिप के विभिन्न विभाग प्रगती अहवाल अपडेट नहीं कर रहे हैं. फिर भी जिप में बदलने वाले पदाधिकारी या अधिकारी की जानकारी तत्काल अपडेट करती है. फिर विभागों की जानकारी वेबसाईट पर क्यों नहीं डाली जा रही है. इसके लिए जिप की मनमानी कार्यप्रणाली  को जिम्मेदार माना जा रहा हैं.

    तत्कालीन सीईओ के पत्र पर दुर्लक्ष

    इसके पूर्व विभागों को जानकारी देने के लिए और जानकारी अपडेट करने जिप के तत्कालीन सीईओ ने पत्र दिया था लेकिन विभाग प्रमुख  व  संबंधित कर्मचारियों ने उस ओर दुर्लक्ष किया है. इसके बाद पुन: नए सीईओ के ध्यान में यह बात लाकर जानकारी अपडेट करने के लिए प्रयास किया जाएगा. बेहतर होगा हाल ही में पदभार ग्रहण करने वाले जिप के सीईओ पाटिल इस दिशा में गंभीरता से कुछ करके दिखाएंगे ऐसी अपेक्षा है.