धान फसल तनस में परिवर्तित, उत्पादन में  कमी

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    गोंदिया. पिछले महीने हुई अतिवृष्टी ने किसानों के हलके धान फसल का नुकसान किया. किसान नैसर्गिक संकट में फंस गया है. भारी प्रजाति वाले धान फसल पर तुडतुडा बीमारी के आक्रमण से धान फसल की तनस बन गई है. जिससे बीमारी के प्रभाव से इस बार भी धान फसल के उत्पादन में भारी कमी आई है.

    जिससे इस वर्ष भी किसानों को आर्थिक घाटा सहन करना पडा. उल्लेखनीय है कि सितंबर महीने में हुई अतिवृष्टी से हलके धान फसल का बडा नुकसान हो गया. अनेक किसानों की धान फसल खेतों में सो गई थी. वहीं कुछ किसानों की धान फसल पानी में आ जाने से बडा नुकसान हो गया था.

    बारिश बंद होने के बाद जिले के किसानों ने धान की कटाई व मलनी के काम की शुरूआत की थी. खेत में भारी प्रजाति वाली धान फसल लहराते दिखाई दे रही थी.

    इसी बीच कटाई के दौरान तुडतुडा नामक बीमारी के आक्रमण से धान की फसल तनस में परिवर्तित हो गई. कीट नियंत्रण के लिए कीटनाशक दवाईयों का छिडकाव करने के बाद भी कीट  नियंत्रण में नहीं आने से किसानों को आर्थिक बोझ उठाना पडा. इसी में कीट के प्रभाव से धान फसल नष्ट हो गई. 

    गत वर्ष नैसर्गिक संकट से उत्पादन में कमी आई थी. वही परिस्थिति इस वर्ष भी दिखाई दी. खेत में हुआ खर्च भी नही निकला. हर वर्ष किसानों को नैसर्गिक संकट का सामना करना पडता है. कर्जबाजारी होकर किसान खेती व्यवसाय कर रहा है. लेकिन उत्पादन कम होने से कर्ज कैसे चुकाएं ? इस दुविधा में किसान फंस गया है. उत्पादन में कमी से दिन ब दिन किसानों के सिर पर कर्ज का बोझ बढ रहा है. परिणाम स्वरुप किसानों में निराशा छा गई है. अनेक वर्षों से किसानों पर संकट की श्रृंखला शुरू है. 

    धान खरीदी केंद्र के अभाव में लूट 

    कुछ स्थानों में अब तक शासकीय आधारभूत धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हुए है. जिले में फिलहाल धान की मलनी का कार्य जोरों से शुरू है. धान खरीदी केंद्र के अभाव में किसान अपना धान कवडीमोल भाव पर व्यापारियों को बेच रहे है. निजी व्यापारियों द्वारा किसानों की लूट हो रही  है. शासन की दोहरी नीति से किसान बीच में फंस गया है. किसानों को आर्थिक नुकसान सहन करना पड रहा है.