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    • कोरोना काल से बिगड़ी है व्यवस्था : कई ट्रेनें हैं बंद  

    गोंदिया. दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे मार्ग  पर यात्री ट्रेनों की संख्या कोरोना के बाद ठीक होने लगी थी  लेकिन इंटरलॉकिंग के नाम पर पैसेंजर ट्रेनों को  कैंसिल कर दिया गया जो ट्रेनें चल रही हैं, उन्हें भी देर तक आउटर पर खड़ा किया जा रहा है और मालगाड़ियों को छोड़ा जा रहा है. जिसके कारण यात्रियों में रेल प्रशासन के खिलाफ नाराजगी है. पिछले कई दिनों से चल रही इस अव्यवस्था के कारण रेल यात्रियों में भारी रोष है.

    दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे लाइन पर गोंदिया रेलवे स्टेशन महत्वपूर्ण है. चारों दिशाओं में चलने वाली ट्रेनों के कारण गोंदिया स्टेशन पर हमेशा यात्रियों की भीड़ लगी रहती है. कोरोना संक्रमण के पहले चरण में लॉकडाउन किया गया था. इसलिए यात्री ट्रेनें शुरू की गईं हालांकि, चरणबद्ध तरीके से पाबंदियां लगाकर ट्रेनों को शुरू किया गया था. इनमें से कुछ प्रतिबंध अभी भी हैं. छोटे रेलवे स्टेशनों पर लोकल ट्रेनों का टिकट बढ़ा दिया गया है. अब नागपुर से रायपुर के बीच तीसरी लाइन का काम चल रहा है वहीं इंटरलॉकिंग का काम भी चल रहा है. इसी वजह से रेल प्रशासन ने इस रूट की कई ट्रेनों को रद्द कर दिया.

    गोंदिया से चलने वाली महाराष्ट्र और विदर्भ एक्सप्रेस सिर्फ नागपुर तक चल रही है. इसका असर गोंदिया स्टेशन के यात्रियों पर पड़ रहा है और जो ट्रेनें चल रही हैं उसे भी एक घंटे से डेढ़ घंटे के तक आउटर पर खड़ा किया जा रहा है. गोंदिया रेलवे स्टेशन भी जबलपुर रेलवे लाइन से जुड़ा हुआ था, इसलिए उत्तर भारत में जाना सुविधाजनक था. लेकिन इस मार्ग की ट्रेन बंद होने से यात्रियों को नागपुर जाना पड़ता है. चंद्रपुर मार्ग की भी ट्रेनों को बंद कर दिया गया है. कुल मिलाकर रेल विभाग ट्रेनों को बंद चालू करने का खेल कर रही है. जिसके चलते यात्रियों में नाराजगी व्याप्त है. रेल प्रशासन पहले की तरह पैसेंजर और अन्य ट्रेनों को सुचारू रूप से चलाने की मांग नागरिक कर रहे है.

    इसके अलावा आगामी त्यौहारों को देखते हुए जल्द से जल्द गोंदिया-जबलपुर पैसेंजर ट्रेन शुरू करने की मांग की जा रही है जिससे शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों के यात्रियों को भी सुविधा होगी और कमाल तो यह है कि पैसेंजर ट्रेन शुरू करने को लेकर सभी  जनप्रतिनिधि आंखे मुंदे बैठे है. जबकि उन्होंने गहरी त्रासदी भुगत रहे रेल यात्रियों को राहत दिलाने खुलकर सामने आना चाहिए और यदि जरूरत पड़े तो आंदोलन जैसा कदम भी उठाना चाहिए. अगर इस रूट पर यह ट्रेन शुरू होती है तो यात्रा सुविधा के साथ ही छोटे व्यवसायियों को व्यवसाय करने में आसानी होगी.

    एक साल बाद भी केवल दो साप्ताहिक ट्रेनें ही चल रहीं

    उत्तर भारत से दक्षिण के प्रदेशों की दूरी घटाने वाले इस रेलमार्ग पर परियोजना पूरी होने के बाद लगभग एक साल बाद भी दो साप्ताहिक यात्री ट्रेन ही चल रही हैं. दो रेल जोन के झमेले में इस मार्ग के जरिए मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के बीच बेहतर रेल कनेक्टिविटी नहीं बन पा रही.

    32 छोटे-बड़े स्टेशन

    गोंदिया-नैनपुर-जबलपुर रेलमार्ग 236 किमी लम्बा है. इस रेलमार्ग पर 32 के लगभग छोटे-बड़े स्टेशन हैं- वर्तमान में गया-चेन्नई ट्रेन सप्ताह में एक दिन गुजरती है. रीवा-इतवारी सप्ताह में तीन दिन चलती है.  जबलपुर-चांदाफोर्ट साप्ताहिक ट्रेन थी, जो बंद है. जबलपुर-गोंदिया के साथ ही नैनपुर-मंडला और बालाघाट-तिरोड़ी तक ब्रॉडगेज बन चुका है.

    बसों के भरोसे ग्रामीणों का कारोबार

    इस रेलमार्ग में सैकड़ों ग्रामीण क्षेत्र आते हैं, जिनका व्यापार इस रेल लाइन से जुड़ा है. छोटी लाइन खत्म होने के बाद ग्रामीणों की उम्मीदें बड़ी लाइन से जुड़ी हैं, लेकिन ट्रेनें ना चल पाने के लिए सभी लोग महंगा किराया देकर बस का सफर करने पर मजबूर हैं. गोंदिया, बालाघाट, जबलपुर, नागपुर, रायपुर तक जाने में ज्यादा किराया चुकाना पड़ रहा है.