6 महीने से नहीं मिला अनुदान, निराधारों पर मंडराया संकट

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अर्जुनी मोरगांव. महाराष्ट्र शासन के माध्यम से निराधारों को हर महीने एक हजार जीवन निर्वाह अनुदान पिछले 6 महीने से अनेक निराधारों को नहीं मिला है. इन निराधारों को दिवाली भी अनुदान के बिना अधेरे में बीती. वहीं अब जीवन निर्वाह कैसे करें. ऐसा सवाल खड़ा हो गया है. शासन से नियमित अनुदान देने की मांग की है.

बैंकों के लगा रहे चक्कर

उल्लेखनीय है कि संजय गांधी निराधार योजना, श्रावण बाल योजना, इंदिरा गांधी वृद्धवस्था योजना, दिव्यांग पेंशन योजना अंतर्गत अनेक गरीब व जरूरतमंदों  को शासन द्वारा विशेष सहायता अनुदान देकर उनके जीवन निर्वाह के लिए योजना क्रियान्वित की जा रही है. जबकि पिछले 6 महीने से इस योजना का अनुदान संबंधित बैंक शाखाओं के खातों में जमा नहीं किया गया. दिवाली त्योहार पर निराधारों को अनुदान देना जरूरी था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस क्षेत्र के अनेक लाभार्थी हर दिन बैंकों में जाकर जांच करते हैं, लेकिन उन्हें अनुदान के बिना लौटना पड़ता है. 

आशा सेविका व गुट प्रवर्तक भी निराशा

आशा सेविका व गुटप्रवर्तकों को स्वास्थ्य विभाग की रीड़ माना जाता है. कोरोना काल में जान जोखिम में डालकर आशा सेविकाएं  घर-घर  जाकर सर्वे कर शासन को जानकारी उपलब्ध कराने का कार्य निरंतर कर रही हैं, लेकिन उन्हें  केवल निराशा मिल रही है. आशाओं का कहना है कि हमारा कर्तव्य हम पूरी निष्ठा से निभाते हैं. शासन ने जुलाई से दो हजार रुपए अतिरिक्त मानधन वृद्धि की घोषणा कर प्रचार-प्रसार किया है, लेकिन अभी तक उसकी पूर्ति नहीं हुई.

गोंदिया जिले में 1,500 से अधिक आशा सेविकाएं व 100 से अधिक गट प्रवर्तिका काम कर रही हैं. किंतु अब तक एक भी आशा व गट प्रवर्तकों को उक्त परिपत्रक निकालने के बाद भी मानधन का लाभ नहीं दिया गया है. इसे लेकर आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) के हौसलाल रहांगडाले ने चेतावनी दी है कि यदि घोषणा के अनुसार तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो आयटक के माध्यम से जिप कार्यालय पर तीव्र आंदोलन किया जाएगा.