
देवरी. शहर के वन विभाग कार्यालय के बाहर गत 30 मई से ग्रूप ऑफ ग्राम सभा के 17 सदस्यों द्वारा जारी आमरण अनशन यूं तो मंगलवार शाम को पूर्व पालकमंत्री परिणय फुके की अगुवाई में जिलाधीश द्वारा मौखिक रूप से आश्वासन नाटकीय रूप से खत्म हो गया है. लेकिन विश्लेषात्मक रूप से देखा जाए तो भीषण गर्मी में 8 दिन से भूखे प्यासे अनशन पर बैठे ग्रुप ऑफ ग्राम सभा के पदाधिकारियों को कुछ भी हासिल नहीं नहीं हुआ. उनकी एक भी मांगों पर जिलाधीश या डीएफओ द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया, बावजूद इसके एक विशेष राजनीतिक दल द्वारा अनशन खत्म करने और अनशनकारियों कि जीत का दावा करने से माहौल गर्मा गया है.
ग्रुप ऑफ ग्राम सभा लगभग एक दशक से वनविभाग पर असहयोग, ग्राम सभा को संवैधानिक रूप से प्राप्त अधिकारों के हनन और उनके कामकाज पर अनावश्यक रूप से दखल देने का आरोप लगाती आ रही है लेकिन मामला तब गर्मा गया जब 27 मई को म्हैसुली ग्राम सभा द्वारा संकलित तेंदूपत्ता से लदे ट्रक को वनविभाग द्वारा कोटजंभोरा नाके पर पकड़ कर जब्ती की कार्रवाई की गई.
इसके बाद ग्रुप ऑफ ग्राम सभा द्वारा वनविभाग पर विभिन्न आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक से अवैध रूप से तेंदूपत्ता जब्त करने वाले वन विभाग के कर्मचारियों के विरुद्ध एट्रासिटी व अन्य एक्ट के तहत फौजदारी अपराध दर्ज करने की मांग की तथा अनेक प्रलंबित मांगों को लेकर देवरी वन विभाग कार्यालय के आगे आमरण अनशन की घोषणा कर दी और 30 मई को 17 ग्राम सभा के पदाधिकारियों द्वारा वन विभाग कार्यालय के आगे आमरण अनशन शुरू किया गया.
आंदोलनकारियों ने विधायक सहसराम कोरोटे से मामले में दखल देने का निवेदन किया. अनशनकारियों के बिगड़ते हालात को देखते हुए कोरोटे वनवासियों के साथ वनविभाग कार्यालय के दरवाजे पर धरने पर बैठ गए. मंगलवार को प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले धरनास्थल पर पहुंचे और वहां मुलाकात कर मामले कि गंभीरता को देखते हुए एसीएफ कुलराजसिंह भाटिया से फोन पर चर्चा कर मामले के तत्काल निराकरण के लिए उपाय करने कि मांग की.
पूर्व विधायक संजय पुराम पदाधिकारियों के मंडप में जाकर बैठ गए. कुछ समय पश्चात पूर्व पालकमंत्री परिणय फुके भी वहां पहुंच गए और फोन पर जिलाधीश से चर्चा कर उनके यहां पहुंचने कि घोषणा की. विदर्भ निसर्ग संरक्षण संस्था के दिलीप गोडे भी पहुंचे थें.
किसी मांग पर कोई समाधान नहीं, सिर्फ आश्वासन मिला
विधायक को बगैर विश्वास में लिए जिलाधीश, पूर्व पालकमंत्री और पूर्व विधायक और 2-3 अनशनकारी सहित करीब 11 लोगों के साथ तहसील कार्यालय में भूख हड़ताल खत्म होने कि घोषणा कर दी गई. 6 प्रमुख मांगो में से एक भी मांग पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया. जिससे धरने पर बैठे लोग भड़क गए. जिसमें दबावतंत्र का खुलकर उपयोग किया गया जबकि ग्राम सभा को कुछ भी हासिल नहीं हुआ.