आरोपी के हाथ अब नहीं होंगे काले, कंप्यूटर में सेव होगा फिंगर प्रिंट

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    गोंदिया. अपराधियों की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण साबित होने वाले फिंगर प्रिंट को कम्प्युटराईड किया जा रहा है. इसमें ऑटो मेटेड मल्टिमोड बायो मेट्रिक्स आयडेटिफिकेशन (ऑम्बिस) प्रणाली  पुलिस स्टेशन में क्रियान्वित होने के बाद पुलिस के साथ ही अपराधियों के हाथ काले होने से बच जाएंगे.

    इतना ही नहीं देश सहित राज्य के रिकार्ड वाले अपराधियों की जानकारी कुछ ही पल में मिल जाएगी. किसी अपराध के बाद संबंधित आरोपी की खोज करने के लिए फिंगर प्रिंट विभाग की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण होती है. हत्या, डकैती, घरफोडी, बलात्कार जैसे अनेक गंभीर अपराध में पुलिस से गिरफ्तार होने के बाद आरोपी के फिंगर प्रिंट लिए जाते है, इसके लिए फिंगर प्रिंट विशेषज्ञ होते है.

    हर एक थाने में इसके लिए कुछ पुलिस कर्मचारी नियुक्त किए गए है. फिलहाल हाथ के फिंगर प्रिंट कागज पर लिए जाते है. अॅम्बिस प्रणाली द्वारा हाथ के फिंगर प्रिंट लेने के बाद संबंधित फार्म पर उस व्यक्ति की जानकारी भरी जाएगी. विशेष बात यह है कि जानकारी का आदान प्रदान सभी पुलिस स्टेशन सहज रुप से कर सकेंगे. जिले के पुलिस स्टेशन सीसीटीएनएस सिस्टम से जुडे होने से अपराधियों को पकडने में मदद करेगी. 

    जिले में 16 पुलिस स्टेशन 

    जिले में 16 पुलिस स्टेशन व 9 आर्म्स आउट पोस्ट है, इसमें सभी थानों में कम्प्युटर की सुविधा उपलब्ध है, फिंगर प्रिंट लेने वाले कर्मचारी भी है. जिले में गोंदिया शहर, गोंदिया ग्रामीण, रामनगर, रावनवाडी, दवनीवाडा, आमगांव, सालेकसा, देवरी, चिचगड, दुग्गीपार, नवेगांवबांध, केशोरी, अर्जुनी मोरगांव गोरेगांव, तिरोडा व गंगाझरी इन थानों का समावेश है. 

    उपलब्ध होंगी अपराधियों की जन्म कुंडली

    इसमें यदि रिकार्ड वाले अपराधी ने अपराध किया होता तो उसके फिंगर प्रिंट जुडने में एक क्लिक पर अपराधी की संपूर्ण जानकारी फिंगर प्रिंट विभाग से जांच अधिकारी को प्राप्त हो जाएंगी. अॅम्बिस से अपराधी की जानकारी कुछ ही समय में मिलेगी. भौतिक सबूत के आधार पर अपराधी निर्दोष होने के प्रमाण घट कर आरोप सिध्द होने का प्रमाण बढेगा.

    भविष्य में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बाद उसका पूर्व का इतिहास एक क्लिक पर पुलिस को मिलेगा. फिलहाल सीबीआय मशीनरी उपलब्ध अॅम्बिस कार्यप्रणाली का उपयोग कर रही है. सीबीआय फिंगर प्रिंट का डेटा तैयार कर रही है. यह प्रणाली अब तक शुरू नहीं हुई है. जिससे सभी पुलिस स्टेशन में कागजों पर काली स्याही से हाथ व पैर के फिंगर प्रिंट लिए जा रहे है. 

    भौतिक सबूत के लिए लेते है फिंगर प्रिंट 

    इंटरपोल व एफबीआय की तर्ज पर पुलिस विभाग ने यह युनिट कार्यान्वित किया गया है. ऑटो मेटेड मल्टिमोड बायोमेट्रिक्स आयडेंटिफिकेशन  (अॅम्बिस) प्रणाली अपडेट की गई है. इस प्रणाली में गिरफ्तार किए गए आरोपी के चार प्रकार के रिकार्ड लिए जाते है, जिसमें प्रमुख रुप से हाथ के प्रिंट, पैर के पाम प्रिंट, आंख की आय स्कॅन व चेहरे की फेस रीडिंग ली जाती है. इसके आधार पर घटनास्थल पर भौतिक सबूत और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अपराधी की खोज की जाएगी.

    यह प्रणाली पुलिस विभाग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगी. इस संबंध में शहर पुलिस स्टेशन के पुलिस निरीक्षक महेश बनसोडे ने बताया कि अॅम्बिस प्रणाली शुरू होकर तीन वर्ष हो गए हैं. फिलहाल सीबीआय इसका डाटा तैयार कर रही है. भविष्य में यह कार्यप्रणाली पुलिस स्टेशन में शुरू होगी. जिससे  अपराधियों की जानकारी तत्काल मिलेगी.