PM Aawas Yojna
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    गोंदिया.  वर्तमान में शहरी और ग्रामीण दोनों भागों में आवास निर्माण की लागत लगभग समान हो गई है. जिससे  दोनों क्षेत्रों के अनुदान को समान करने की मांग की जा रही है. देश के हर नागरिक को अपने अधिकार की छत मिल सके इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण व शहरी) सर्वसामान्य नागरिक के लिए शुरू की गई है.

    प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ग्रामीण भागों के लाभार्थियों को 1.20 लाख व शहरी भागों के लाभार्थियों को 2.5 लाख रु. की आर्थिक मदद की जाती है लेकिन ग्रामीण भागों के लाभार्थियों को दिया जाने वाला अनुदान शहरी क्षेत्र की तुलना में कम होने से ग्रामीण लाभार्थियों को मकान के निर्माण कार्य में दिक्कते आ रही है.

    अब दोनों क्षेत्रों के अनुदान को समान करने की मांग की जा रही है. प्रधानमंत्री आवास योजना की वजह से लोगों को राहत मिली है. अनुदान की राशि मिल जाने से मकान बनाने के कार्य में मदद हो रही है लेकिन वर्तमान में शहरी व ग्रामीण दोनों भागों में ही लागत लगभग समान ही है. सामग्री शहरी क्षेत्रों से ही खरीदना पड़ता है. यदि ग्रामीण भाग में दूकानें हों तो वे भी शहरी भागों से खरीदकर लाते हैं इस वजह से दोनों भोगों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं रह गया है.

    इसके बाद भी ग्रामीण भागों में शहरी क्षेत्र की तुलना में कम अनुदान मंजूर हुआ है. ग्रामीण क्षेत्र की जनसंख्या शहर की तुलना में अधिक है, इसके अनुसार ग्रामीण के आवास के लिए मिलने वाला अनुदान अत्यंत अल्प है. जिससे प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण व शहरी आवास का अनुदान समान करने के लिए केंद्रीय ग्राम विकास विभाग से मांग की गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत ग्रामीण भागों के मकानों के निर्माण कार्य के ग्रामीण भागों में हर आवास के लिए 1.20 लाख रु. का अनुदान मिलता है.

    इसके अलावा प्रति आवास शौचालय के लिए 12 हजार रु. दिए जाते हैं साथ ही मनरेगा जॉबकार्ड वाले लाभार्थियों को 90 दिनों की मजदूरी दी जाती है. ग्रामीण भागों के लिए मिलने वाला अनुदान यह अल्प है. इतने कम अनुदान में ग्रामीण क्षेत्र में मकान बनाना संभव नहीं हो पा रहा है. लाभार्थियों का चयन सामाजिक आर्थिक व जाति जनगणना के आंकडों के आधार पर किया जाता है.

    जिनका नाम इस सूची में नहीं है, उन्हें आवास का आवंटन नहीं होता, जिले में बड़ी संख्या में जरूरतमंद आवास के लाभ से वंचित है. इस कारण प्रपत्र डी के पुन: सर्वेक्षण की आवश्यकता प्रतिपादित की जा रही है. साथ ही सरकार से योजना की समीक्षा करने व वर्तमान परस्थिति को ध्यान में रखते हुए अनुदान को पुनर्निधारित करने की मांग जो पकड़ रही है.