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    मुंबई: शुक्रवार को पेश बजट (Budget) में महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Govt.) ने किसानों (Farmers) दरियादिली दिखाई। राज्य के वित्त मंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) ने इसमें उन्होंने कृषि (Agriculture) को लेकर कई तरह की घोषणाएं की हैं। इसमें एक अहम ऐलान यह है कि अजित पवार ने भुविकास बैंकों के 34 हजार 788 किसानों का एक करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का बड़ा ऐलान किया है। 

    सरकार का कहना है कि इससे 20 लाख किसानों को फायदा होगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में संशोधन का अनुरोध भी प्रधानमंत्री से करते हुए अजित पवार ने कहा कि किसानों को फसल के नुकसान की भरपाई के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा। वसमत में हल्दी अनुसंधान केंद्र स्थापित किया जाएगा, जिसके लिए 100 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। महिला किसानों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

    बकाया माफ कर रहे हैं: अजित पवार

    वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भूमि विकास बैंकों की भूमि और भवनों का उपयोग अब से सरकारी योजनाओं के लिए किया जाएगा। राज्य में विभिन्न जिला भूमि विकास बैंकों ने 1998 से नए ऋण जारी करना बंद कर दिया है। बैंक का बकाया बढ़कर 964 करोड़ रुपये हो गया है। अजित पवार ने राज्य का बजट पेश करते हुए घोषणा की कि वह बकाया माफ कर रहे हैं। गौरतलब है कि भूमि विकास बैंकों द्वारा किसानों पर बकाया अरबों रुपये की वसूली के लिए पहले ही कई योजनाएं शुरू की जा चुकी हैं। बकाया की वसूली न होने से लगभग हर जिले में ये बैंक धीरे-धीरे बंद हो गए। 2004 से बकाया राशि पर 6 प्रतिशत ब्याज वसूलने का निर्णय लिया गया है, जबकि इससे पहले यह दर 21 फीसदी थी। लगभग दस साल पहले, 2013 में, राज्य में कई भूमि विकास बैंक बंद हो गए। 

    2008 में बनी थी पहली समिति

    इससे पहले 2008 में वैद्यनाथ की अध्यक्षता में एक समिति को बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए नियुक्त किया गया था, जिसने किसानों के फाइनेंसिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहां तक कि इस समिति की सिफारिशों ने भी इन बैंकों की जान नहीं बचाई। देवेंद्र फडणवीस सरकार के दौरान, राज्य में भूमि विकास बैंक को पुनर्जीवित करने के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार की अध्यक्षता में एक मंत्री स्तरीय उप-समिति नियुक्त की गई थी। उस समिति ने कुछ महत्वपूर्ण सिफारिशें भी कीं। इसके अनुसार जिन किसानों का बकाया था, उन्हें मूलधन का भुगतान करने के बाद ब्याज माफी मिलने की बात कही गई थी। राज्य सरकार ने कई उपायों के बावजूद बकाया राशि की वसूली न होने और बकाया राशि में भारी वृद्धि के कारण मई 2015 में इन भूमि विकास बैंकों को बंद करने का फैसला किया।

    कांग्रेस-एनसीपी ने बंद किए थे छह जिलों में बैंक

    2014 से पहले जब राज्य में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार सत्ता में थी तो छह जिलों में भूमि विकास बैंक बंद कर दिए गए थे। शेष 21 जिलों में भूमि विकास बैंकों को बंद करने का निर्णय फडणवीस सरकार के दौरान लिया गया था। जब इन भूमि विकास बैंकों को बंद करने का निर्णय लिया गया, तो संचित घाटा 1692 करोड़ रुपए था, जबकि कुल बकाया 946 करोड़ रुपए था। कई बार वन टाइम सेटलमेंट (वन टाइम सेटलमेंट एकमुश्त पुनर्भुगतान योजना) की घोषणा करने के बाद भी बकाया किसानों से इसका जवाब नहीं मिला।

    • भूमि विकास बैंकों ने 1998 से नए लोन देना बंद किया
    • संचित घाटा 1692 करोड़ और कुल बकाया 946 करोड़ रुपये
    • 10 साल पहले कई भूमि विकास बैंक बंद हो चुके हैं
    • 27 जिले में चल रहे थे भूमि विकास बैंक
    • समिति और उप-समिति बनाये थे