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    मुंबई:  एसटी (ST) के विलीनीकरण (Merger) का मामले पर मुंबई हाईकोर्ट (Mumbai High Court) में जारी सुनवाई एक बार फिर टल गई है। शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि इस मामले को लेकर गठित समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी (Approval) लेनी होगी।  एसटी कर्मचारी अभी भी  हड़ताल पर डटे हुए हैं, सरकार ने दो सप्ताह की अवधि की और मांग की है।

    बताया गया कि राज्य परिवहन निगम के लगातार हो रहे नुकसान से कर्मचारी भी प्रभावित हो रहे हैं। इससे महंगाई भत्ता, किराया भत्ता, वेतन वृद्धि भी नहीं हो रही है। कर्मचारी एसटी निगम का राज्य सरकार में विलय करने पर अड़े हुए हैं।   इससे पूर्व समिति के निर्देशानुसार सीलबंद रिपोर्ट व मुख्यमंत्री की राय पीठ के समक्ष पेश की गयी। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने अदालत के समक्ष मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर का सबूत पेश करने का निर्देश दिया। शुक्रवार को अभियोजन पक्ष ने स्पष्ट किया कि राय पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। सरकार के वकील का दावा है कि एसटी कर्मचारियों के विलय का निर्णय नीतिगत है, इसमें समय लगेगा, एक मुद्दे को छोड़कर कर्मचारियों सभी मांगों को पूरा कर लिया गया है।

    54,000 कर्मचारी हड़ताल पर

    बताया गया कि 54,000 कर्मचारी अभी भी हड़ताल पर हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में एसटी सेवाएं बाधित हैं। कर्मचारियों के वकील सदावर्ते ने कहा कि कर्मचारी विलय के बिना काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं और रिपोर्ट भी नहीं मिली है। यह देखते हुए हाइकोर्ट ने सुनवाई 11 मार्च तक टाल दी।