महाराष्ट्र में अपनी इन मांगों को लेकर गैर-शिक्षण कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

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    औरंगाबाद : महाराष्ट्र (Maharashtra) के सभी विश्वविद्यालयों (Universities) और कॉलेजों (Colleges) के गैर-शिक्षक कर्मचारियों (Non-Teaching Staff) को लटकाए रखने का काम राज्य सरकार (State Govt.) ने किया है। इसलिए, 20 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल को तेज कर दिया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के 40 से अधिक विभाग के कर्मचारियों को 7वां वेतन आयोग लागू किया। परंतु राज्य में स्थित 13 विश्वविद्यालय और अनुदानित महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षकेतर कर्मचारियों को 7वां वेतन लागू नहीं किया। इसके खिलाफ स्थानीय डॉ. बाबासाहाब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यलाय के शिक्षकेतर कर्मचारियों ने सोमवार से अनिश्चित कालिन हड़ताल आरंभ की गई है। यह जानकारी कर्मचारी महासंघ के राज्य उपाध्यक्ष डॉ. कैलास पाथ्रीकर ने दी। अनिश्चित कालिन हड़ताल को प्रथम दिन जोरदार समर्थन मिलने का दावा डॉ. पाथ्रीकर ने किया। उन्होंने बताया कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के सभी गैर-शिक्षण कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर गुरुवार (16 तारीख) को सांकेतिक हड़ताल पर चले गए। अब 20 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हडताल पर गए थे। इस आंदोलन में निम्नलिखित मांगें शामिल हैं।

    इस बीच पहले दिन ‘बामुक्टो’ ‘प्राध्यापक संगठन के नेता और आमसभा के सदस्य डॉ. विक्रम खिल्लारे ने कर्मचारियों से मुलाकात कर उन्हें समर्थन देने की घोषणा की। साथ ही संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेंद्र ठाकुर ने राज्य सरकार से अपनी मांगों को लेकर सकारात्मक रहने और हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया। गैर शिक्षकेतर कर्मचारियों की किसी भी मांग पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है। इसलिए हड़ताल का फैसला बरकरार रखा गया है। इस प्रमुख मांग को लेकर कर्मचारियों द्वारा बार-बार गुहार लगाने के बावजूद सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। इसलिए 20 फरवरी से इस हड़ताल को और तेज कर दिया गया है।                                     

    इन मांगों को लेकर शुरु किया गया आंदोलन 

    सेवाअंतर्गत सुधारित आश्वासित प्रगति योजना का रद्द किया हुआ सरकार निर्णय पुनर्जिवित कर सुधारित सेवा अंतर्गत आश्वासित प्रगति योजना पूर्ववत लागू करना, 7वां वेतन आयोग के प्रावधान के अनुसार 10, 20 और 30 साल के बाद के लाभ की योजना विश्वविद्यालय और महाविद्यालयीन शिक्षकेतर कर्मचारियों को लागू करना, 7वां वेतन आयोग से वंचित 1 हजार 410 शिक्षकेतर कर्मचारियों को 7वां वेतन आयोग लागू कर विश्वविद्यालय और शिक्षकेतर कर्मचारियों को जनवरी 2016 प्रत्यक्ष रुप से 7वां वेतन आयोग लागू हुआ, उस समयावधि के वेतन के अंतर की बकाया जमा करना, विश्वविद्यालय और कॉलेज में रिक्त शिक्षकेतर कर्मचारियों के रिक्त पदों को तत्काल भरने को मान्यता देना, 2005 के बाद सेवा में जॉईन  हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करना, विश्वविद्यालय के शिक्षकेतर कर्मचारियों को छठा वेतन आयोग की वेतनश्रेणी तय समजकर उसके आधार पर 7वां वेतन आयोग की वेतन श्रेणी लागू करना इन मांगों के अलावा अन्य मांगों के लिए आंदोलन शुरु किया गया है। इसके तहत प्रथम चरण में विश्वविद्यालय के परीक्षा पर बहिष्कार डालकर परीक्षा का काम बंद आंदोलन की शुरुआत की गई।