जामनेर. तहसील का किसान (Farmers) मौसम (Weather) की मनमानी के कारण कड़ी परेशानियों में घिर गया है। पिछले कुछ दिनों लगातार बारिश (Rain) के कारण खेतों की फसलों (Crops) को भारी नुकसान हुआ है। वहीं बांधों के साथ साथ नदी नाले (River Drain) लबालब हो कर बहने लगे है। इस मौसम में यहां बादल फटे, आंधियां चलीं जिससे किसानों के आंसू निकल गए। पिछले दो सालों से देश के साथ राज्य में कोरोना महामारी का प्रकोप था। उसमें छोटे मोटे उद्योग धंदे बंद हो गए। एैसे में कोरोना से डर कर सभी उद्योग बंद हो गए। एैसे में राज्य में बेरोजगारी बढ़ गई।
कोरोना काल में जब सब अपने घरों में बेठे थे एैसे में किसान खेतों में काम कर रहे थे। पिछले साल का कर्ज का बोझ अपने सिर पर ले कर इस साल मौसम ने साथ दिया तो पिछले नुकसान की भरपाई हो जाएगी इस आशा पर नियोजन कर के निसर्ग के भरोसे पर लाखों रुपायों के बीज मिट्टी में डाल दिए। जून माह के दूसरे सप्ताह में बारिश की शुरु अच्छी हुई थी। तहसील के किसानों ने 25 जून तक बुवाई पूरी कर ली थी। तब से 27 अगस्त तक फसलों को जीवन दान देने के लिए कम या अधिक बारिश हो रही थी। फिर अगस्त माह में ही 15 दिनों के लिए बारिश गायब हो गई। उन्हीं दिनों में किसानों के हाथ से उसकी फसल निकलने लगी। उन दिनों बारिश का भारी कहर मचा।
प्रशासन केवल तारीख दे रहा है
सितंबर माह में भी तहसील के कुछ गांवों में बादल फटे, भारी बारिश से तबाही हुई और 5 मिनट के चक्री तूफान का फटका भी तहसील को सहना पड़ा। उस तूफान में किसानों के हाथ आई फसल भी निकल गई और भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। फसलों को भारी नुकसान होने से किसानों की आर्थिक स्थिती हिल गई। सभी राजनीतिक नेताओं ने नुकसान ग्रस्त तहसील के इलाकों को दौरा किया और लोगों को केवल आश्वासन दे कर चले गए, लेकिन किसानों के हाथों में सहायता की राशि नहीं रखी। पंचनामे भी किए गए लेकिन किसान केवल आशा में ही है कि नुकसान भरपाई उसे जल्द मिलेगी, लेकिन नेताओं द्वारा केवल आश्वासन और प्रशासन केवल तारीख दे रहा है।