जान जोखिम में डालकर रोजाना नदी पार कर स्कूल जाते है बच्चे

    Loading

    रावेर : देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बचपन में रोजाना एक नदी (River) को तैरकर पार करने के बाद स्कूल (Schools) जाया करते थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद को इस हालात का सामना मुल्क को आजादी मिलने के पहले करना पड़ता था। डॉ. प्रसाद की तरह उस जमाने में देश के लाखों विद्यार्थियों (Lakhs of Students) को ऐसा करना पड़ता रहा होगा। उस जमाने का सच यही था। लेकिन आजादी मिलने के लगभग 75 साल बाद भी देश के किसी गांव, कस्बे और इलाके के बच्चों को अगर रोजाना स्कूल जाने के लिए यूनीफार्म पहन जान जोखिम में डालकर उफनती नदी को तैरकर पार करने पड़े तो उसके लिए देश की आजादी और अपनी सरकार का आखिर क्या महत्व रह जाएगा? उसे इस बात का एहसास आखिर कैसे होगा कि वह भी इसी देश का नागरिक है और सरकारें उनकी भी फिक्र करती है। 

    बच्चे स्कूल जाने के लिए जान जोखिम में डालते 

    विकास का मुंह चिढ़ता है जलगांव जिले के रावेर तहसील एक छोटासा कसबा ग्राम वडगांव इस गांव में सैकड़ों परिवार है। यहा वडगाव और चिनावल के बीच की दुरी तीन किमी की है। दोनो गांव के बीच सुकी नदी है। 2006 सुखी नदी में बाढ़ आने के बाद से यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। वडगांव गांव और चिनवाल के बीच, छात्रों को खुद को जोखिम में डालते हुए, चिनावल के नए माध्यमिक विद्यालय तक पहुंचने के लिए सुखी नदी पार करनी पड़ती है। नदी पर पुल न होना, बच्चों को कर रहा शिक्षा से दूर वडगाव गांव के स्थानीय निवासी सुरेश कहते हैं, गांव के बच्चों को बारिश में नदी को रोजना तैरकर नदी पार करनी होती है। वह अपनी जान जोखिम में डालकर रोजाना स्कूल जाते हैं। लोग जान की कीमत पर बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए स्कूल भेजते हैं। बच्चे जबतक सही सलामत घर वापस नहीं आ जाते उनके अभिभावकों की सांसे अटकी रहती है। कई अभिभावक बच्चों को रोज अपने कंधों पर बैठाकर नदी पार कराते हैं। कई अभिभावक किसी अनहोनी के डर से बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होती है जब सुकी नदी का बैक वाटर नदी में छोड़ा जाता तो पानी से नदी लबालब भरी रहती है। ऐसे समय में कई महीने बच्चे स्कून नहीं जा पाते हैं, जिस वजह से उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। 

    चुनावी दौरों के बाद गांव को भूल जाते जनप्रतिनिधि

    गांव के लोग बताते हैं, हर चुनाव में यहां जनप्रतिनिध आते हैं, जिससे गांव के लोग नदी पर पुल की मांग करते हैं। सांसद, विधायक से लेकर जिला परिषद, पंचायत समिती सदस्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक गांव के लोग सालों से पुल की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन सरकार इस पर कभी ध्यान नहीं देती है। गांव के लोगों आज भी काफी उम्मीदें है की हि इस नदी पर पूल का निर्माण हो लोग कहते हैं। राज्य सरकार जिस तरह से हर बच्चों तक शिक्षा पहुंचाना चाहती हैं, वह इस दिशा में जरूर कोई कदम उठाए। यहा के लोगों मांग कर रहे है की नदी पर पुल जल्द बनवाया जाय ताकि बच्चे अपनी जान बिना जोखिम में डाले रोजाना स्कूल जा सकें।