Corona test
File Photo

    Loading

    साक्री. कोरोना (Corona) प्रकोप ने जनजीवन बदहाल स्थिति में ला दिया है। शहर की हर एक गली और सुदूर तक ग्रामीण इलाकों में कोरोना अपनी पैठ बना चुका है। ऐसी परिस्थितियां गुजरते हर दिन के साथ और भी डरावनी होती जा रही हैं। 

    सड़कों पर निकलने वाले आम लोग खौफ में हैं, जिसके चलते बेशक भीड़ कम दिखाई दे रही है। लेकिन कोरोना से निपटने  के लिए आवश्यक निर्देशों को धत्ता बताया जा रहा है। पुलिस प्रशासन (Police Administration) हो या राजस्व केवल डीएम द्वारा जारी निर्धारित कार्य संचालन प्रणाली (SOP) को ऊपर से नीचे जारी करने की खानापूर्ति की जा रही है।

    जिला स्तर पर मिल रहे मरीज

    लोगों में हर दिन बढ़ते संक्रमित मरीजों के आंकड़ों से डर तो फैला है, लेकिन स्थिति असमंजस की बनी हुई है। जिला स्तर पर हर दिन 300 से ज्यादा और अब तो 400 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं। वहीं तहसील में भी 40 से 50 मरीज रोजाना पॉजिटिव मिल रहे हैं। साक्री, पिंपलनेर, कासारे, निजामपुर, म्हसदी, दहिवेल, जैसे तहसील के हर दिशा में स्थित शहरनुमा गांवों में तो मानो कोरोना ने ठिकाना बना लिया है।

    कर्फ्यू के दूसरे दिन ही दिखा पुराना नजारा

    60 घंटे के जनता कर्फ्यू की समाप्ति बुधवार को सुबह 6 बजे हुई। 1 ही दिन परिस्थितियां नियंत्रण में दिखाई दीं। दूसरे दिन से फिर वही माजरा दिखाई दिया। बाजारों में दोपहर के समय गर्मी बढ़ने लगी है, जिसके चलते भीड़ कुछ कम थी, लेकिन शाम में बाजारों में भी भीड़ हो रही है जो चिंता का विषय बना हुआ है।

    अध्यापक हैं, लेकिन विद्यार्थी नदारद

    स्कूलों और कॉलेजों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। अध्यापक हैं तो स्टूडेंट्स नहीं आ रहे हैं। अभिभावक बच्चों को स्कूल में भेजने को तैयार नहीं हो रहे हैं। 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं घोषित हो चुकी हैं और चूंकि उक्त परीक्षाएं प्रदेश का शिक्षा मंडल द्वारा संचालित होती है। कोरोना के बढ़ते प्रभाव से रेल एक बार फिर पटरी से उतर गई है। जिसको लेकर शिक्षा से संबंधित सभी विभाग परेशान हैं। कक्षा 1ली से 5वीं तक की कक्षाएं और उनकी अध्ययन प्रक्रिया पूरी खटाई में है। 6ठीं से 9वीं तक के बच्चों की कोई अलग कहानी नहीं है, किंतु 9वीं की क्लास नियमित होने के बाद अब बंद होने के कगार पर है। 

    कार्यालयों में मिल रहे मरीज

    वैसे ही शिक्षक भी संक्रमित हो रहे हैं। सार्वजनिक कामकाजी ऑफिसों में भी कोरोना मरीज निकल रहे हैं। हर गली मुहल्ले में और तहसील के हर हिस्से में कोरोना अपनी दमदार हाजिरी दर्ज कर चुका है। लोग खौफजदा है, ऊहापोह में हैं, निजी अस्पतालों में भीड़ है। लेकिन किसी का कोई ट्रैकिंग नहीं है, संदिग्धता जांच भी नहीं हो रही है। बेरोकटोक आवाजाही से आम आदमी को समझ नहीं आ रहा कि सच में कोरोना है या बस कोई शिगूफा छोड़ दिया है।