अवैध रूप से चल रहा प्रतिबंधित मांगुर मछली का कारोबार

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    भुसावल : तहसील के मांडवेदिगर इलाके में वाघुर बांध (Waghur Dam) के जलग्रहण क्षेत्र में अफ्रीकी मांगुर (African Mangur) (कैटफ़िश) मत्स्य पालन अवैध (Illegal) रूप से शुरू किया गया है। हालांकि, भारत सरकार (Government of India) ने इस मछली पर प्रतिबंध (Ban) लगा दिया है। लेकिन इस मत्स्य व्यवसाय के लेकर अधिकारी आंख बंद किए हुए बैठे हैं। जिससे नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में है। दिलचस्प बात यह है कि, भारत सरकार ने उस मछली पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिससे कैंसर और मधुमेह विकसित होता है। इतने बड़े स्तर पर मांगुर पालन देखने के बाद एैसा लगता है कि, इस कारोबार के पीछे लोगों को बीमार करना ही उद्देश्य रखा गया है। 

    सरकार ने मांगुर मछली पकड़ने और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया

    माना जा रहा है कि, यह गंदा धंधा किसी राजनीतिक दल के किसी बड़े नेता का है। क्या उस पर कार्रवाई होगी? इसके खिलाफ कोई सवाल नहीं उठाया जा रहा है। मांडवे दिगर वाघुर बांध का जलग्रहण क्षेत्र है। इस दलदली इलाके से जेसीबी की मदद से 10 से 15 अनैसर्गिक तालाब बनाए गए हैं। इन तालाबों में दक्षिण भारतीय नागरिकों की मदद से मछली पालन का व्यवसाय शुरू किया गया है। इसके लिए वाघुर बांध पर इंजन लगाकर इन झीलों में अवैध रूप से पानी डाला जा रहा है। इस अफ्रीकी मांगुर मछली को इसमें छोड़ा गया है और मछली का उत्पादन किया जा रहा है। सरकार ने मांगुर मछली पकड़ने और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन मांडवे दिगर में इस गायमुख मच्छली के कारोबार को जारी रखने के लिए इन मछलियों के भोजन के रूप में मृत मुर्गे के अवशेष और मृत मवेशियों के मांस को इन झीलों में डंप किया जा रहा है और यह गंदा पानी वाघुर बांध में छोड़ा जा रहा है। 

    क्या संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी?

    अफ्रीकी नस्ल की यह नेवला मछली कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियों को जन्म देती है। इसलिए 1998 में केरल सरकार ने इस मत्स्यालय पर प्रतिबंध लगा दिया था और अब भारत सरकार ने 2000 से इस मत्स्य पालन पर प्रतिबंध लगा दिया है। फिर भी ये अवैध कारोबार दक्षिण भारतीयों के माध्यम से चल रहा है। जलगांव मत्स्य विभाग के साथ-साथ खाद्य और औषधि आपूर्ति विभाग इस स्थिति को आंखों पर पट्टी बांधकर देख रहा है। क्या संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी? ऐसा सवाल उठाया गया है।