महानगरपालिका में भाजपा के बागी पार्षदों का विद्रोही रवैया

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    जलगांव. एक ओर जलगांव शहर (Jalgaon City) और शहर के नागरिक विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे है, उन्हें महानगरपालिका (Municipal Corporation) के करो का भूगतान करने पर भी आवश्यक सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। ऐसी स्थिती में सत्तापक्ष और विपक्ष लोगों को नागरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के बजाय पद प्राप्ती के लिए गणित जुटाने में जुटे है। 

    इन दिनों स्थायी समिती सभापती (Standing Committee Chairman) और भाजपा गुट नेता इन पदों को लेकर भाजपा के बागी पार्षदो में धमासान चल रहा है। इन बागियों से चंद पार्षद फिर से भाजपा के खेमें में जाने और भाजपा के और चार पार्षद शिवसेना के संपर्क में होने के दावे प्रतिदिन यहां किए जा रहे है। जलगांव महानगरपालिका में भाजपा का पूर्ण बहुमत होते हुए स्थानीय विधायक और पूर्व मंत्री गिरीश महाजन से नाराजगी के चलते भाजपा के एक साथ 27 पार्षदों ने महापौर चुनाव के समय बगावत कर वे शिवसेना के खेमें में दाखिल हुए थे। जिससे मात्र 15 सदस्य होने वाले शिवसेना के महापौर और उपमहापौर निर्वाचित हुए थे। उस  समय आनेवाले दिनों में होने वाले स्थायी समिती सभापती पद को लेकर संभवता बागी पार्षदों को आश्वासन दिया गया था।

     27 पार्षद शिवसेना के साथ

    इस पद के लिए किशोर बाविस्कर का नाम तय होने की चर्चाए थी। बहरहाल, अब जब स्थायी समिती सभापती चयन की बात आई तो, किशोर बाविस्कर के साथ ही अन्य नाम भी सामने आ रहे है। सभापति पद के लिए और भी इच्छुक बताए जा रहे है। साथ ही भाजपा गुट नेता कौन होगा इस पर भी विवाद छिड़ गया है। भाजपा के कुल 57 पार्षदों से पहले 27 पार्षद शिवसेना के साथ चले थे। फिर और तीन ने भी शिवसेना का दामन थाम लेने से भाजपा के बागियों का आकड़ा 30 तक तो भाजपा की ओर 27 सदस्य रह जाने से पार्टी का गुट नेता का विवाद भी छिड़ गया। जब पार्टी की ओर पूर्ण बहुमत था तो गुट नेता भगत बालानी बने थे। अब बागियों की संख्या 30 होने से गुट नेता पद पर वे हक बता रहे है।

    यहां से कोई भी कही जाने वाला नहीं

    इस विवाद के दरमीयान भाजपा के बागियों से चंद पार्षद फिर से भाजपा में घर वापसी करने की चर्चाओ के बीच शिवसेना के सुनील महाजन ने दावा किया है की, यहां से कोई भी कही जाने वाला नहीं, पर भाजपा के और चार पार्षद जरूर शिवसेना में शामिल हो रहे है।  इस प्रकार की चर्चाओं के समय गिरीश महाजन शहर में नहीं है ,और जिला पालक मंत्री गुलाबराव पाटील (शिवसेना) दौरे पर चल रहे है। गुलाबराव पाटील ने महानगरपालिका के सत्ता पलटने में अहम भूमिका निभाई थी। तो गिरीश महाजन अपने पार्षदो को  संभालने में असफल रहे थे। दोनों नेता इस विवाद पर क्या उपचार करेंगे इस ओर लोगों कीं निगाहे लगी है।