रिश्वतखोरी में राजस्व विभाग पहले स्थान पर

  • जलगांव की भ्रष्ट छवि में नहीं हो सका सुधार
  • 20 रिश्वतखोरों को पकड़ा गया

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जलगांव. राजस्व विभाग (Revenue Department) ने रिश्वतखोरी (Bribery) के मामले में प्रथम स्थान पर होने की परंपरा वर्ष 2020 में भी बनाए रखी। इसके साथ ही पुलिस विभाग दूसरे स्थान पर रहा। वर्ष 2020 में रिश्वतखोरी रोकथाम के लिए एसीबी (ACB) द्वारा 20 रिश्वतखोरों को पकड़ा गया था। इसमें एसडीएम, तहसीलदार और अन्य वर्ग 1 राजस्व अधिकारियों समेत महिलाओं का भी समावेश है। ज़िले की भ्रष्ट छवि जस की तस बरकरार है। इनमें सबसे बदनाम आरटीओ है। लंबी दूध वालों की सेटिंग के कारण रिश्वतखोरी के वीडियो वायरल होने के बाद भी वरिष्ठ अधिकारियों के कानों पर जूं तक नही रेंगती है। जिसका उदाहरण नंदुरबार परिवहन विभाग है। 

आरटीओ के खिलाफ मूक दर्शक बना एसीबी

वहीं एक पुलिस कर्मी का  रिश्वतखोरी का संभाषण सार्वजनिक होने पर सस्पेंड कर दिया जाता है लेकिन परिवहन विभाग में सभी को लाभान्वित किये जाने के कारण खानदेश चार परिवहन चेक पोस्ट पर दिनदहाड़े वाहन चालकों से आरटीओ इंस्पेक्टर अवैध वसूली कर रहे हैं जिसके प्रति एन्टी करप्शन ब्यूरो भी मूक बना हुआ है।  पिछले साल की तुलना में इस साल जलगांव ज़िले में रिश्वत लेने वालों की संख्या कम रही। 2019 में एंटी करप्शन विभाग द्वारा 31 रिश्वत लेने वालों को पकड़ा गया था। 

कोरोना से घटी रिश्वतखोरी

गत साल कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन के कारण छह महीने के लिए सरकारी कार्यालयों में कामकाज लगभग बंद ही था। यह भी वजह रही है कि रिश्वतखोरी में कमी आई है। दफ्तरों में  केवल 10 प्रतिशत कर्मचारियों और अधिकारियों को कार्यालय में आने की अनुमति दी गई थी, वह भी अगर आवश्यक हो तो ही। हालांकि, गत साल अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, डिप्टी तहसीलदार, सहायक पुलिस निरीक्षक, जिला विशेष लेखा अधिकारी जैसी बड़ी मछलियां एसीबी के जाल में फंसी थीं। वहीं परिवहन विभाग पर सब पहले की भांति ही इंट्री वाहन चालकों से वसूली का खेल चलता रहा।

6 वरिष्ठ अधिकारी रडार पर

जिले के विभिन्न विभागों के छह वरिष्ठ अधिकारी एसीबी के रडार पर हैं। गोपनीय जांच में खुलासा हुआ  है कि अधिकारियों ने संपत्ति को बड़े पैमाने पर अवैध रूप से एकत्र किया।एक बार सभी सबूत उपलब्ध हो जाने के बाद, उनके खिलाफ गलत तरीके से संपत्ति जुटाने का मुकदमा दायर किया जायेगा और उनकी संपत्ति जब्त भी की जा सकती है।

2019 में दो अधिकारियों पर हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। इस साल यह संख्या छह हो गई है।फिलहाल मामले की जांच जारी है। एसडीएम दीपमाला चौरे,क्लर्क अतुल सानप, बोदवड तहसीलदार हेमंत पाटिल, मंडलाधिकारी संजय शिरनाथ, राजेंद्र वाडे, डिप्टी तहसीलदार जितेंद्र पंजे, जिला लेखा परीक्षा सह-लेखा विभाग के विशेष लेखा परीक्षक रावसाहेब जंगले, सहायक पुलिस निरीक्षक संदीप हजारे और अन्य बड़ी मछलियां एसीबी के जाल में फंसी थीं। 

आय से अधिक संपत्ति की जांच

छह अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोपों की जांच की जा रही है। 2020 में दर्ज 20 मामलों में से कुछ में चार्जशीट कोर्ट में भेजी गई है। पिछले एक साल में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की शिकायतें राजस्व विभाग की मिली थीं। कार्रवाई से पता चलता है कि राजस्व और पुलिस के दो विभाग लगातार भ्रष्टाचार में सबसे आगे हैं।